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Last Updated : रविवार, 14 जून 2020 (00:49 IST)

बिना अनुमति धरना देने पर पूर्व मंत्री समेत कांग्रेस के 4 नेताओं पर मामला दर्ज, घुटने टेकने वाले SDM का तबादला

बिना अनुमति धरना देने पर पूर्व मंत्री समेत कांग्रेस के 4 नेताओं पर मामला दर्ज, घुटने टेकने वाले SDM का तबादला - Case on 4 leaders without taking permission
इंदौर। शहर के राजबाड़ा क्षेत्र में बिना प्रशासनिक अनुमति के धरना देने को लेकर मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के 4 नेताओं के खिलाफ पुलिस ने यहां शनिवार को आपराधिक मामला दर्ज किया। पटवारी समेत कांग्रेस के 3 विधायक और शहर कांग्रेस अध्यक्ष शामिल हैं, वहीं घुटने टेककर बैठने वाले एसडीएम राकेश शर्मा का ताबड़तोड़ तबादला कर दिया गया है।
सर्राफा पुलिस थाने की प्रभारी अमृता सोलंकी ने कहा कि कुल जमा 4 लोगों द्वारा इस धरने के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इस कारण पटवारी और उनके साथ धरने पर बैठे 2 अन्य कांग्रेस विधायकों- विशाल पटेल तथा संजय शुक्ला तथा शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी का आदेश नहीं मानना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
 
कांग्रेस नेताओं ने पटवारी की अगुवाई में ऐतिहासिक राजबाड़ा के सामने इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया था। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में राज्य सरकार नाकाम रही है और जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
 
इस बीच चारों कांग्रेस नेताओं के सामने घुटने टेककर उनसे धरना खत्म करने की मान-मनुहार करना एक अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को महंगा पड़ा है। चश्मदीदों के मुताबिक एसडीएम राकेश शर्मा राजबाड़ा स्थित धरनास्थल पर पहुंचे और घुटने टेककर पटवारी तथा 2 अन्य कांग्रेस विधायकों से बात की।
 
प्रशासनिक अफसर ने इसी मुद्रा में कांग्रेस विधायकों से अनुरोध किया कि वे धरना खत्म कर दें। वे इन नेताओं से बातचीत के वक्त उनके सामने बार-बार हाथ भी जोड़ रहे थे। इस वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिलाधिकारी मनीष सिंह ने एसडीएम को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे पूछा था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कदम क्यों न उठाए जाए?
 
नोटिस में कहा गया है कि राजबाड़ा क्षेत्र में बिना अनुमति धरना दे रहे जनप्रतिनिधियों के समक्ष जाकर एसडीएम द्वारा जिस रूप में उनसे चर्चा की गई है, वह एक कार्यपालक मजिस्ट्रेट की पदीय गरिमा व आचरण के साथ ही प्रशासनिक अनुशासन के भी अनुरूप नहीं है। भाजपा के कई नेताओं ने भी एसडीएम के आचरण पर आपत्ति जताई थी। (भाषा) (Photo courtesy: Social Media)
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