मध्यप्रदेश में भाजपा ने मोदी फॉर्मूले पर दिए महापौर के टिकट, प्रेशर पॉलिटिक्स पर भी हावी रही गाइडलाइन
भोपाल। राजस्थान के जयपुर में 20 मई को भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी को परिवारवाद से दूर हटकर युवा औऱ जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे लाने का जो मंत्र दिया था उसको मध्यप्रदेश भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में लगभग अमलीजामा पहना दिया है।
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 16 नगर निगमों के लिए अपने महापौर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। परिवारवाद को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की गाइडलाइन के बाद संभवत मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है जहां भाजपा ने परिवारवाद और भाई-भतीजावाद को पार्टी के अंदर पूरी तरह नकार दिया है। महौपार चुनाव में जहां कांग्रेस ने अपने तीन विधायकों को चुनावी मैदान में उतारा है वहीं भाजपा ने किसी भी नगर निगम में उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया है।
नए और युवा चेहरों को मौका-मध्यप्रदेश के 16 नगर निगमों में से सबसे बड़े नगर निगम इंदौर से भाजपा ने युवा चेहरे को तौर पर 40 साल के अधिवक्ता पुष्पमित्र भार्गव को मैदान में उतारा है। वहीं कटनी से कटनी से 39 साल की ज्योति दीक्षित पार्टी की महापौर के लिए पार्टी की सबसे युवा उम्मीदवार है। 16 महापौर उम्मीदवारों से 7 प्रत्याशियों की उम्र 50 साल से कम है। अगर प्रदेश के भाजपा के 16 उम्मीदवारों की बात करे तो केवल जबलपुर से जितेंद्र जामदार अकेले ऐसे उम्मीदवार है जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है।
प्रोफेशनल चेहरों को तरजीह-वहीं भाजपा ने निगर चुनाव में नए और प्रोफेशनल चेहरों को खूब तरजीह दी है। इंदौर से भाजपा उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव वकील है तो जबलपुर से डॉक्टर जितेंद्र जामदार मशूहर अस्थिरोग विशेषज्ञ है। वहीं छिंदवाड़ा से महापौर प्रत्याशी अनंत ध्रुवे निगम कमिश्नर रह चुके है। इसके साथ सतना से योगेश ताम्रकार, रतलाम प्रहलाद पटेल और बुरहानपुर से व्यवसायी माधुरी पटेल को मैदान में उतारा है। भोपाल से मालती राय, ग्वालियर से सुमन शर्मा, सतना से प्रमोद व्यास को महापौर उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जमीनी कार्यकर्ता को मौका दिया है।
निकाय चुनाव में गाइडलाइन का पालन-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महापौर के टिकट वितरण के बाद कहा कि पार्टी ने एक व्यक्ति, एक पद का फॉर्मूला तय किया है। इसके साथ पार्टी ने यह भी तय किया कि विधायक महापौर का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विधायक को महापौर का टिकट देना आसान होता है लेकिन हमने तय किया महापौर का चुनाव विधायक नहीं लड़ेंगे। वहीं कांग्रेस के विधायकों को महापौर चुनाव में मैदान में उतराने पर तंज कसते हुए शिवराज ने कहा कि कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का ही आभाव है या तो कार्यकर्ता नहीं है और अगर कार्यकर्ता है तो उनकी इज्जत नहीं है और कई जगह विधायक ही लड़ा दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय निकाय के चुनावों में भी उम्मीदवार चयन के लिए कुछ भी गाइडलाइन तय की कुछ मापदंड निर्धारित किए और मुझे गर्व और खुशी है निर्धारित मापदंडों का पालन करते हुए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को टिकट दिए है।
प्रेशर पॉलिटिक्स पर हावी गाइडलाइन-निकाय चुनाव में टिकट के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स पर पार्टी की गाइडलाइन भारी पड़ती दिखाई दी। इंदौर और भोपाल से कांग्रेस की तरफ से दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने के बाद भाजपा पर बड़े चेहरों को मैदान में उतारने का दबाव था लेकिन पार्टी ने इंदौर से पुष्यमित्र भार्गव को मैदान में उतारकर गाइडलाइन को तरजीह दी।
इसी तरह ग्वालियर से महापौर उम्मीदवार के लिए सुमन शर्मा के नाम के एलान से पहले प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर देखा गया। सुमन शर्मा के नाम के एलान से पहले ग्वालियर से लेकर भोपाल तक भाजपा के दिग्गज नेताओं का मंथन चला। ग्वालियर में जिला कोर कमेटी की बैठक में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ जयभाव सिंह पवैया सहित अन्य नेता शामिल हुए। करीब दो घंटे की बैठक में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाने के बाद पूरा मामला भोपाल आ गया है।
बताया जा रहा है कि ग्वालियर से ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व मंत्री माया सिंह को टिकट देने का प्रेशर बना रहे थे लेकिन वह पार्टी की गाइडलाइन में नहीं आ रही थी। वहीं ग्वालियर से सुमन शर्मा के नाम के एलान से पहले से आज मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच मंथन का दौर चला। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व के सीधे दखल के बाद सुमन शर्मा का नाम फाइनल हुआ।
परिवारवाद पर पार्टी की गाइडलाइन-गौरतलब है कि भोपाल दौरे के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने परिवारवाद पर गाइडलाइन साफ करते हुए कहा था कि भाजपा ने देश की राजनीति में परिवारवाद की संस्कृति के खिलाफ आवाज उठाई है और हमारी कोशिश है कि पिता के बाद बेटा न आ जाए, इसको रोका जाए। पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का बरकरार रखना है और इसलिए पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं है। नेता पुत्रों के राजनीति में सक्रिय होने पर सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि वह पार्टी के लिए काम करें अच्छी बात है लेकिन जहां तक प्रतिनिधित्व की बात है तो पार्टी कार्यकर्ता को ही आगे बढ़ाएगी।