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  4. Time too there will be tough fight in Election in Burhanpur district
Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

बुरहानपुर जिले में इस बार भी कांटे की टक्कर, हर्षवर्धन बढ़ाएंगे भाजपा की मुश्किल

Burhanpur Election
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरहानपुर जिले की दोनों सीटों पर 2018 की तरह इस बार भी कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। बुरहानपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बागी उम्मीदवारों से जूझ रहे हैं, वहीं नेपानगर में भाजपा प्रत्याशी को ‍भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। बुरहानपुर सीट पर पिछले चुनाव में ठाकुर सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा भैया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे, जबकि नेपानगर सीट पर कांग्रेस की सुमित्रा कासडेकर चुनाव जीती थीं। हालांकि नेपानगर उपचुनाव में सुमित्रा ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर जीत हासिल की थी। 
 
बुरहानपुर चतुष्कोणीय मुकाबला : बुरहानपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी हर्षवर्धन नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के बागी नफीस मंशा खान ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है। कांग्रेस ने यहां से वर्तमान विधायक (निर्दलीय) सुरेन्द्र शेरा को प्रत्याशी उतारा है, जबकि भाजपा ने एक बार फिर अपनी कद्दावर नेता अर्चना चिटनीस पर ही दांव लगाया है। अर्चना पिछला चुनाव करीब 5000 वोटों से हारी थीं। हालांकि 2008 और 2013 के चुनाव में चिटनीस ने जीत हासिल की थी। 2013 में तो उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह को करीब 23 हजार वोटों से हराया था। अर्चना शिवराज सरकार में मंत्री भी रही हैं। 
 
पूर्व निमाड़ यानी खंडवा और बुरहानपुर के दिग्गज भाजपा नेता रहे स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह ने बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है। हर्ष ने पिता के निधन के बाद लोकसभा सीट के लिए भी दावेदारी पेश की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। पिता नंदकुमार सिंह की साख और प्रभाव के आधार पर हर्ष ने विधानसभा टिकट की भी मांग की, लेकिन उन्हें इस बार भी निराशा हाथ लगी। ऐसे में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर गए। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से भी वे नहीं माने। इतना ही नहीं उन्होंने शाह के सामने दावा किया वे चुनाव जीतकर आएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि हर्ष की मौजूदगी अर्चना चिटनीस की मुश्किल बढ़ाएगी। 
 
कांग्रेस की ओर से टिकट के दावेदार रहे नफीस मंशा खान भी टिकट नहीं मिलने के कारण ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से चुनाव मैदान में खम ठोक रहे हैं। इस विधानसभा सीट पर मुस्लिमों की आबादी 40 फीसदी के लगभग है। ऐसे में मंशा खान की मौजूदगी कांग्रेस के शेरा को ही नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि उनके वोट बंट जाएंगे। यह भी माना जा रहा है कि चार कोणों में फंसी इस सीट पर चौंकाने वाले परिणाम भी आ सकते हैं। जानकारों का कहना है कि हर्षवर्धन और मंशा भी यह सीट जीत सकते हैं। 
 
नेपानगर में भितरघात का खतरा : नेपानगर सीट (सुरक्षित) 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी सुमित्रा कासडेकर ने बहुत मामूली अंतर से जीती थी, लेकिन कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद यही सीट उन्होंने 26 हजार के बड़े अंतर से जीती थी। इस बार भाजपा ने सुमित्रा का टिकट काटकर मंजू राजेन्द्र दादू को उम्मीदवार बनाया है।
 
भाजपा विधायक रह चुकीं मंजू 2018 में करीब 1300 से वोटों से हारी थीं। भाजपा ने उन्हें ही फिर उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने गेंदू बाई चौहान को मैदान में उतारा है। उपचुनाव में जीत हासिल करने वाली भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं होगी क्योंकि टिकट कटने से नाराज सुमित्रा कासडेकर समर्थक भितरघात कर मंजू दादू को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
 
हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन जानकारों का मानना है कि परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
 
    
 
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