Indore Election History: इंदौर की 5 नंबर विधानसभा में 2 रिकॉर्ड बनाए हैं महेन्द्र हार्डिया ने
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: वर्ष 1977 से लेकर 2018 तक इंदौर विधानसभा क्रमांक 5 में 10 बार चुनाव हो चुके हैं। इस क्षेत्र में सर्वाधिक 5 बार भाजपा को जीत हासिल हुई है। यहां से 4 बार कांग्रेस ने चुनाव जीता, जबकि एक बार कांग्रेस से ही बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े सुरेश सेठ चुनाव जीतने में सफल रहे।
इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही 2018 के उम्मीदवारों- महेन्द्र हार्डिया और सत्यनारायण पटेल को दोहराया है। पटेल पिछला चुनाव मात्र 1132 वोटों से हार गए थे। हालांकि इस सीट पर सबसे कम वोटों से जीत का रिकॉर्ड सुरेश सेठ के नाम हैं। 1985 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र वर्मा को 418 वोटों से हराया था।
बाबा बना चुके हैं 2 रिकॉर्ड : बाबा के नाम से मशहूर वर्तमान विधायक महेन्द्र हार्डिया इस सीट पर सर्वाधिक बार चुनाव जीतने वाले नेता रहे हैं। हार्डिया 2003 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2003 और 2008 में उन्होंने कांग्रेस की शोभा ओझा को हराया, जबकि 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को बाबा के खिलाफ हार का स्वाद चखना पड़ा। 2018 में हार्डिया ने सत्यनारायण पटेल को पटखनी दी थी।
इस विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक वोटों से जीतने का रिकॉर्ड भी बाबा के नाम ही है। 2003 में उन्होंने कांग्रेस की शोभा ओझा को करीब 23000 हजार मतों से हराया था। यह इस क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। 1990 में कांग्रेस के अशोक शुक्ला ने यह सीट 18 हजार 472 वोटों से जीती थी। शुक्ला ने तब भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार भंवर सिंह शेखावत को हराया था। हालांकि शेखावत ने अगले ही चुनाव यानी 1993 में शुक्ला से हार का बदला ले लिया।
2013 में सबसे ज्यादा वोटिंग : जहां तक वोट प्रतिशत की बात है तो सर्वाधिक 67.24 फीसदी 2013 में डाले गए, तब हार्डिया 14 हजार 418 वोटों से जीते थे। इस सीट पर सबसे कम वोट प्रतिशत 46.03 वर्ष 1990 में रहा था। हालांकि 2003 के बाद इस विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत 60 से ऊपर ही रहा।
इस सीट पर पिछली बार जीत-हार का अंतर महज 1132 वोटों का था। पिछली बार हार का अंतर काफी कम था, साथ ही हार्डिया और पटेल एक बार फिर आमने-सामने हैं। अत: इस बार भी 5 नंबर विधानसभा सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सीट पर शहर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने ऐन वक्त पर महेन्द्र बाबा पर ही भरोसा जताया।