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Written By DW
Last Updated : रविवार, 23 मई 2021 (14:02 IST)

क्या हुआ जो मधुमक्खियां मर रही हैं

क्या हुआ जो मधुमक्खियां मर रही हैं - Why are the bees dying
कई जटिल कारणों से हर साल हम अरबों मधुमक्खियां गंवा रहे हैं। इनमें जलवायु परिवर्तन, फसलों की विभिन्नता में गिरावट और गुम होती रिहाइशें आदि शामिल हैं, लेकिन मधुमक्खियों के होने या न होने से हमारे लिए क्या फर्क पड़ता है? मधुमक्खियां बचाओ, अक्सर ये पुकार सुनी जाती है, अल्बर्ट आइंस्टाइन के एक उद्धरण के साथ : अगर मधुमक्खियां धरती से गायब हो गईं तो इंसान भी सिर्फ चार साल ही जीवित रह पाएगा।

समस्या ये है कि आइंस्टाइन ने ऐसा कहा हो, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है और ये बयान भी सच नहीं है। अगर कल सारी मधुमक्खियां मर जाती हैं, तब भी हम भोजन उगा पाएंगे, हो सकता है आपकी पसंद का न हो। फिर भी, गेहूं, चावल और मक्का जैसी फसलें, जिनका हवा में परागण होता है, तो बनी रहेंगी लेकिन बहुत से फल और सब्जियों को विदा कहना पड़ेगा।

हमारी मधुमक्खियां कैसे मर रही हैं?
खेती के रसायनों और एकल खेतियों से मधुमक्खियों में जहर चला जाता है और उनकी रिहाइशें खत्म हो जाती हैं। वैश्विक तापमान से होने वाले मौसमी बदलावों के चलते फूलों में कम रस बनता है और पौधे बेमौसम खिलने लगते हैं।

पॉलीनेशन यानी परागण के बारे में बात करते हैं, जानवर भी इसमें शामिल हैं। बात सिर्फ मधुमक्खियों की नहीं, बल्कि होवरफ्लाई, चमगादड़, परिंदे, गुबरैले और भी कई जीव दुनिया के 90 प्रतिशत फूलदार पौधों के परागण में शामिल होते हैं। मुख्य बात है फूलदार, क्योंकि सभी पौधों पर फूल नहीं खिलते।

भौंरों और मधुमक्खियों में अंतर को पहचानिए
मधुमक्खियां फूलों का परागण करती हैं। लेकिन वे इस काम में सबसे अहम नहीं हैं। पैरिस की सॉरबॉन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और पॉलीनेशन इकोलॉजी की रिसर्चर इजाबेल दायोज कहती हैं, आम लोग भौंरों और मधुमक्खी को पहचानने में चकरा जाते हैं। ये वैसी ही बात होगी कि आप चिड़िया की बात करें और लोग सोचें कि आपका मतलब चूजों से है या आप किसी स्तनपायी की बात करें तो लोग सिर्फ भेड़ों के बारे में सोचें।

मधुमक्खियों की करीब 20 हजार विभिन्न प्रजातियां हैं। ज्यादातर जंगली, एकाकी और कुछ खास पौधों से ही विशेष तौर पर जुड़ी हैं जो उन्हें परागण के लिए बेहतर बनाती हैं। जैसे, भौंरे गुंजन वाला परागण करते हैं। फूलों के ठीक ऊपर हवा में अटके हुए से वे, आपने ठीक समझा, पराग छोड़ने के लिए ही जोर-जोर से भनभनाते हैं। शहद की मक्खी ये नहीं कर पाती। और सिर्फ भौंरे ही अपने काम में माहिर नहीं।

यूं तो हम इन जंगली मधुमक्खियों के परागण के मूल्य को ठीक ठीक माप नहीं सकते हैं, लेकिन ये तय है कि इसके बिना दुनियाभर की फसलों को दिक्कत हो जाएगी। जंगली मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट आ जाने से अमेरिका में पैदावार पहले ही कम हो चुकी है। हाल का एक अध्ययन बताता है कि दुनिया में एक चौथाई जंगली मधुमक्खियां हम गंवा चुके हैं। ऊंचे पोषण स्तरों वाले जीवन के लिए इसके गहरे मायने हैं।

दायोज के मुताबिक, बहुत से जानवर अपने भोजन, रिहाइश के लिए विविध पादप समुदायों पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण के लिए बहुत सी चिड़ियां, बहुत से छोटे स्तनपायी पौधों के फल या बीज खाते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि जंगली मधुमक्खियों के न रहने का कितना विनाशकारी असर हमारी खाद्य सुरक्षा और ईकोसिस्टम की स्थिरता पर पड़ता है।

क्या मधुमक्खियां संकट में हैं?
जर्मन मधुमक्खी पालकों के संगठन, डीआईबी के मुताबिक मधुमक्खियों के ठिकाने जलवायु परिवर्तन और सघन खेती की वजह से निश्चित रूप से प्रभावित हो रहे हैं लेकिन ये कहना कि वे मर रही हैं, आंशिक रूप से ही सही है। क्योंकि पालतू मधुमक्खियां इंसानों से संचालित होती हैं और उनकी वेटिरीनरी देखभाल की जाती है, लिहाजा वे अपेक्षाकृत रूप से सुरक्षित हैं।

क्या हम अभी तक गलत मधुमक्खियों को बचा रहे थे?
जी हां, और हमें मधुमक्खियों को लेकर ज्यादा जुनूनी नहीं होना चाहिए, बल्कि अपना ध्यान जंगली मधुमक्खियों पर लगाना चाहिए। मधुमक्खियों को बचाने के लिए शौकिया मधुमक्खी-पालक बनने की जरूरत नहीं। इससे तो बल्कि हालात और बिगड़ जाएंगे।

मधुमक्खी पालना बहुत उलझाऊ काम है। अगर आप उस जगह छत्ता लगा देते हैं, जहां पहले नहीं था तो इससे जंगली मधुमक्खियां खतरे में पड़ सकती हैं। बुनियादी बात ये है कि मधुमक्खी पालने का काम उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए जो इस काम को जानते हैं।

मदद के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
जंगली मधुमक्खियों और पालतू मधुमक्खियों, दोनों को ही स्थानीय पौधों की अलग-अलग रिहाइशें पसंद है। इसलिए उन्हें अपने बागान में उगाने या अपनी बालकनी तक में उगा लेने से मधुमक्खियों को मदद मिलती है। जितनी ज्यादा विविधता होगी उतना ही अलग-अलग किस्म की जंगली मधुमक्खियां खाना ढूंढने में समर्थ हो पाएंगी।

नेस्टिंग के लिए उन्हें जगह ढूंढने में मदद करना एक दूसरा विकल्प है। वे लकड़ी के ठूंठों में घर बनाना पसंद करती हैं और खुली धूप में भी। काटछांट वाला सजावटी लॉन सभी मधुमक्खियों के लिए सबसे खराब जगह है। ईकोसिस्टम के लिए मददगार रिजनेरेटिव खेती की खातिर जैविक उपज को ही चुनें।
रिपोर्ट : अमांडा कोलसन-ड्रासनर
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