• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Unsecured secret
Written By
Last Modified: मंगलवार, 28 मार्च 2017 (16:47 IST)

ये राज तो विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया

ये राज तो विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया - Unsecured secret
दुनिया भर में आज भी ऐसे कई नमूने हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। एक नजर इंसान के पुरुखों द्वारा बनाए गए इन नमूनों पर...
साकसेगेमन मंदिर, पेरु
इस पौराणिक मंदिर के परिसर में बड़े बड़े पत्थरों की एक दीवार है। पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया। हजारों साल पहले ये पत्थर इतनी बारीकी से कैसे तराशे और एक दूसरे के ऊपर रखे गए, इसका पता आज तक नहीं चला है।
 
गेट ऑफ सन, बोलिविया
टिवानाकु को बोलिविया का रहस्यमयी शहर भी कहा जाता है। हजारों साल पहले यहां एक आबाद शहर हुआ करता था। उसकी बस्ती के आसपास एक गेट भी था। ये पूरा इलाका किस सभ्यता ने विकसित किया, इसके बारे में आज भी कोई जानकारी नहीं है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इस गेट की मदद से ग्रहों की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता था।
 
योनागुनी का डूबा शहर, जापान
गोताखोर को किहाचिरो अराताके ने इस डूबे ढांचे की खोज की। माना जाता है कि विशाल ढांचा 10,000 साल पहले डूबा। वैज्ञानिकों का अनुमान से पाषाण युग के बाद इंसान जब पहली बार गुफाओं से बाहर निकला तो उसने ऐसे ढांचे बनाए।
 
मोहनजोदाड़ो, पाकिस्तान
1922 में पुरातत्व विज्ञानियों ने सिंधु नदी के किनारे पौराणिक शहर मोहनजोदाड़ो के अवशेष खोजे। बेहद समृद्ध सा दिखने वाला ये शहर अचानक कैसे खत्म हुआ, वहां के सारे बाशिंदे कैसे मारे गए, इसका आज तक कोई जवाब नहीं मिला है। बार बार खुदाई होने के बाद भी मोहनजोदाड़ो रहस्य बना हुआ है।
 
लॉन्स ओ मेदो, कनाडा
हजारों साल पहले यूरोपीय इंसान पहली बार उत्तरी अमेरिका पहुंचा। वहां पहुंचकर उसने बस्ती बसाई। ये बस्तियां आज भी देखी जा सकती है। क्रिस्टोफर कोलंबस तो सैकड़ों साल बाद उत्तरी अमेरिका पहुंचे।
 
पत्थर की विशाल गेंदे, कोस्टा रिका
पत्थर की ये बड़ी गेंदें बिल्कुल गोल हैं, लेकिन इन्हें किसने बनाया, इसका पता किसी को नहीं है। 1930 में केले के पौधों की रोपाई के दौरान ये गेंदें मिली। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इन गेंदों में सोना था।
 
अधूरा स्तंभ, मिस्र
उत्तरी मिस्र के असवान में जमीन पर लेटा पत्थर का एक विशाल स्तंभ मिला। स्तंभ की लंबाई 42 मीटर है और वजन करीब 1200 टन। इतिहासकारों के मुताबिक निर्माण के दौरान पत्थर में दरार आने की वजह से इसे अधूरा छोड़ दिया गया। लेकिन इतना विशाल स्तंभ कैसे उठाया जाता, यह बात आज भी समझ के परे है।
 
मोआ के पंजे, न्यूजीलैंड
करीब 1500 साल पहले माओरी कबीले के लोग न्यूजीलैंड पहुंचे। माना जाता है कि वहां पहुंचकर उन्होंने माओ परिदों का खूब शिकार किया। माओ पूरी तरह लुप्त हो गए। लेकिन आज भी उनके कुछ पंजे सुरक्षित हैं।
ये भी पढ़ें
काटजू ने कहा, जयललिता से करता था प्यार पर...