गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. trouble sleeping a common symptom of long covid
Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 12 जनवरी 2023 (08:41 IST)

कोविड से ठीक हुए लोग झेल रहे हैं ये बड़ी परेशानी

कोविड से ठीक हुए लोग झेल रहे हैं ये बड़ी परेशानी - trouble sleeping a common symptom of long covid
कार्ला ब्लाइकर
क्या कोविड होने के बाद आपको सोने में दिक्कत होती है? पहले की तरह नींद नहीं आती? रतजगा सा रहने लगा है? ये लॉन्ग-कोविड का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ होना और ब्रेन फॉगिंग भी लॉन्ग-कोविड के कुछ आम लक्षण हैं। 
 
पिछले दिनों हुई विभिन्न रिसर्च में पता चला है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में बीमारी खत्म होने के लंबे समय बाद तक नींद से जुड़ी परेशानियां बनी रह सकती हैं। दुनियाभर में कई रिसर्च टीमों ने कोविड मरीजों या लॉन्ग-कोविड से जूझ रहे लोगों की नींद और उनके सोने के तरीके पर शोध किया। इनसे ये जानकारी सामने आई कि कई प्रभावित लोग "स्लीप डिस्टर्बेंस" की समस्या का सामना कर रहे हैं। 
 
इस टर्म का आशय ऐसी दिक्कतों से जुड़ा है, जिनमें लोगों को नींद आने या रातभर सोए रहने में दिक्कत आती है। इनमें इनसोम्निया प्रमुख है। इससे पीड़ित लोगों को देर से नींद आती है। रात में कई बार उनकी नींद टूटती है या नींद पूरी हुए बिना सुबह काफी जल्दी आंख खुल जाती है। 
 
कोरोना संक्रमण के दौरान और इसके बाद नींद की दिक्कतें
कई शोधों से पता चला है कि कोविड होने के बाद नींद में परेशानी होना इक्का-दुक्का लोगों की समस्या नहीं है। करीब 250 रिसर्चों के डेटा की जांच में सामने आया कि कोविड से संक्रमित करीब 52 फीसदी लोगों को इंफेक्शन के दौरान नींद से जुड़ी दिक्कतें होती हैं। 49 देशों के करीब पांच लाख लोगों के विश्लेषण में ये डेटा मिला है। ऐसा नहीं कि संक्रमण के जोर पर होने से ही लोगों को परेशानी हुई हो।
 
2022 की एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी में अमेरिका के रिसर्चरों ने 710 प्रतिभागियों को स्वास्थ्य उपकरण पहनाए। इन उपकरणों ने उन प्रतिभागियों की सांस की रफ्तार, दिल की धड़कन, ऑक्सीजन स्तर जैसी चीजें मापीं। इस डेटा से पता चला कि लॉन्ग-कोविड के 122 मरीज, उन 588 प्रतिभागियों के मुकाबले कम सोये जिन्हें कोविड नहीं हुआ था। साथ ही, लॉन्ग-कोविड के उन मरीजों की नींद की क्वॉलिटी भी खराब थी। 
 
जर्नल ईक्लिनिक मेडिसिन में छपी ऐसी ही एक और रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 56 देशों के करीब 3,762 प्रतिभागियों को ऑनलाइन फॉर्म भेजे, जिनमें कई सवाल पूछे गए थे। इन सबको लॉन्ग-कोविड हुआ था। जून से नवंबर 2020 के बीच प्रतिभागियों से जो जवाब मिले, उनसे पता चला कि उनमें से लगभग 80 फीसदी लोगों को नींद की परेशानी हो रही है। इन दिक्कतों में इनसोम्निया की तादाद सबसे ज्यादा पाई गई। 
 
क्यों जरूरी है लोगों के लिए नींद
इंसानों के लिए नींद बेहद जरूरी है। अगर रात में नींद पूरी ना हो पाए, या कम देर ही सो सकें, तो अगले दिन लोगों को अच्छा महसूस नहीं होता। उन्हें ध्यान लगाने या काम करने में दिक्कत होती है। जब हम नींद में होते हैं, उस दौरान हमारा शरीर भी खुद को रिचार्ज और दुरुस्त करता है। नींद से हमारे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी मजबूत होती है और हम संक्रमणों का बेहतर तरीके से सामना कर पाते हैं।
 
लिंफ नोड्स में टी-सेल्स के रीडिस्ट्रिब्यूशन के लिए भी नींद मददगार है। टी-सेल्स श्वेत रक्त-कोशिकाएं होती हैं, जो कि हमारी इम्यूनिटी में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं। ये ऐंटीबॉडी रिलीज करती हैं, जो कि वायरस की मौजूदगी को खत्म करता है। जब हम सो रहे होते हैं, उस दौरान हमारा शरीर कई जरूरी काम कर रहा होता है। मसलन, याददाश्त के अहम हिस्सों को संजोना। नई जानकारियों को जमा करना। बेकार के ब्योरों से छुटकारा पाना।
 
रिसर्च बताते हैं कि पढ़ाई करके सोने पर हमने जो पढ़ा होता है, उसे दिमाग याददाश्त में तब्दील करके अपने भीतर जमा कर लेता है। स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, अगले दिन उठकर हम नई चीजें सीख पाएं, नई जानकारियां हासिल कर पाएं, इसकी तैयारी भी दिमाग नींद के दौरान ही करता है।
ये भी पढ़ें
शरद यादव: सामाजिक न्याय के बड़े योद्धा जिन्हें जीवन भर झेलनी पड़ी राजनीति की धूप छांव