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Last Modified: मंगलवार, 10 जनवरी 2017 (12:13 IST)

लोग हकलाते क्यों हैं...

लोग हकलाते क्यों हैं... - Stutter
किसी भी इंसान के लिए हकलाना इतनी बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं जितनी ज्यादा बड़ी इससे जुड़ी सामाजिक शर्म और मजाक का पात्र बनने की समस्या है। हाल ही में रिसर्चरों ने हकलाने के कारण का पता लगा लिया है। देखिए...
वैज्ञानिकों को पता चला है कि दिमाग के स्पीच प्रोडक्शन केंद्र में खून के कम प्रवाह के कारण ही लोगों में हकलाने की परेशानी पैदा होती है। इसके कारण का ठीक ठीक पता चलने से हकलाने का सही इलाज करना भी संभव हो सकेगा।
 
आजकल स्पीच थेरेपिस्ट की मदद से या कई दूसरे तरीकों से इसका इलाज किया जाता है। लेकिन ब्लड फ्लो से जुड़े तरीके प्रचलन में नहीं थे। अब सिद्ध हो गया है कि जितना कम खून पहुंचेगा उतनी ज्यादा हकलाहट होगी।
 
अमेरिका के चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल लॉस एंजेलिस के रिसर्चरों ने साबित किया है कि कैसे सभी बच्चों या बड़ों में जीवन भर हकलाने की समस्या पैदा होने का खतरा बना रहता है। इन रिसर्चरों में एक भारतीय न्यूरोलॉजिस्ट जय देसाई भी शामिल हैं।
 
दिमाग के फ्रंटल लोब में स्थित स्पीच प्रोडक्शन यानी भाषण का केंद्र 'ब्रोका' कहलाता है। दिमाग के परीक्षण से रिसर्चरों ने पाया कि जो लोग हकलाते हैं उनमें ब्रोका क्षेत्र में खून बहुत कम पहुंचता है।
 
इलाज के नए तरीकों में व्यक्ति के सेरेब्रल ब्लड फ्लो यानी दिमाग में रक्त संचार को बढ़ा कर दिमाग की गतिविधि को बढ़ाने की कोशिश होगी। यह स्टडी ह्यूमन ब्रेन मैपिंग जर्नल में प्रकाशित हुई है।
 
विश्व की करीब एक फीसदी आबादी हकलाती है। महिलाओं के मुकाबले चार गुना पुरुषों में हकलाने की समस्या पाई जाती है। अमेरिका जैसे विकसित देश में भी आज तक हकलाने के इलाज के लिए कोई एफडीए अधिकृत दवा नहीं है।
 
शोध से पता चलता है कि हकलाने वाले 65 फीसदी छोटे बच्चे अपने आप लगभग दो सालों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर यह समस्या वयस्कों में पैदा हो तो इसका कोई इलाज अब तक नहीं पता है।
 
रिपोर्ट: ऋतिका पाण्डेय
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