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Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 7 जुलाई 2022 (08:34 IST)

सिलचर की भयानक बाढ़ क्या इंसानों की गलती है?

सिलचर की भयानक बाढ़ क्या इंसानों की गलती है? - silchar flood
क्या बाढ़ भी मानव निर्मित हो सकती है? असम सरकार की मानें तो यह संभव है। असम राज्य के बराक घाटी में मौजूद सिलचर शहर मानव निर्मित बाढ़ में बीते दो सप्ताह से डूबा है। करीब चार दशकों बाद वहां ऐसी भयावह बाढ़ आई है।
 
बराक नदी का तटबंध काटने के कारण ही शहर में बाढ़ आई है, यह दावा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने किया था। अब पुलिस ने इस आरोप में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को दो और लोगों की तलाश है। सीआईडी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जांच का नेतृत्व करेंगे और एक विशेष कार्य बल जांच की निगरानी करेगा।
 
असम इन दिनों बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, असम में दूसरे दौर की बाढ़ में 181 लोगों की मौत हो चुकी है और 32 जिलों में करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। कई जगहों पर तटबंध टूट गए हैं।
 
तटबंध काटने से आई बाढ़
सिलचर के बगल से गुजरने वाली बराक नदी का तटबंध काटने के मामले में बीती 24 मई को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें कहा गया था कि कुछ लोगों ने सिलचर से करीब 3 किलोमीटर दूर बेथुकांडी में बना तटबंध तोड़ दिया है। इसके बाद जून में जब भारी मूसलाधार बारिश हुई तो नदी का पानी इसी रास्ते से सिलचर में घुस गया और शहर को अपनी चपेट में ले लिया। इसकी वजह से एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।
 
पुलिस ने बताया कि महिषा बील के लोगों ने इलाके में जमा अतिरिक्त पानी निकालने के लिए बेथुकांडी में तटबंध तोड़ दिया था। जल संसाधन विभाग ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने सिलचर में बाढ़ वाले इलाके में जाकर लोगों की दिक्कतों का जायजा लिया और जिला पुलिस को तटबंध काटने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
 
सिलचर की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने बताया है कि अब तक मिंटू हुसैन लस्कर, नाजिर हुसैन लस्कर और रिपन खान समेत चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले काबुल खान को गिरफ्तार किया गया था।
 
उनका कहना है कि अभियुक्तों ने तटबंध को 30 मीटर की लंबाई में काट दिया था। जानकारी के मुताबिक, जिस इलाके में तटबंध काटा गया था वहां अक्सर जलजमाव की समस्या रहती है। इसी वजह से लोगों ने तटबंध काट दिया था ताकि इलाके में जमा पानी बह कर बराक नदी में चला जाए। लेकिन जब बराक नदी का जलस्तर बढ़ा तो नदी का पानी रातोंरात शहर में भर गया।
 
अभूतपूर्व बाढ़
सिलचर के ज्यादातर लोगों ने पहले कभी ऐसी भयावह बाढ़ नहीं देखी थी। शहर पूरे 18 दिनों तक कमर भर पानी में डूबा रहा। विमल कुमार दास (84) कहते हैं, "हमने कई बार बाढ़ देखी है लेकिन बीते करीब पचास साल में ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी। शुरू में एक सप्ताह तक बिजली, पीने का पानी या भोजन भी नहीं था।” जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना और वायु सेना की मदद ली है।
 
लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने अगर समय रहते तटबंध की मरम्मत की दिशा में कदम उठाया गोता तो सिलचर को ऐसी भयावह बाढ़ से नहीं जूझना पड़ता। बाढ़ के कारण शहर का करीब 90 फीसदी हिस्सा बीते दो सप्ताह से घुटने से कमर तक पानी में डूबा है और खाने-पीने की चीजों की भारी किल्लत हो गई है।
 
शहर में बाढ़ से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान उनके परिजनों को चार-चार लाख का मुआवजा दिया। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं, "जिला प्रशासन से 15 जुलाई तक बाढ़ से हुए नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है ताकि मुआवजे का वितरण शीघ्र किया जा सके।”
 
असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में बीती मई से अब तक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ताजा मामला मणिपुर के नोनी जिले का है जहां एक रेलवे परियोजना स्थल पर बीते सप्ताह हुए भूस्खलन में दबकर करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से अब तक 47 शव बरामद किए गए हैं। मृतकों में परियोजना की सुरक्षा के लिए तैनात टेरीटोरियल आर्मी के 42 जवान भी शामिल हैं।
 
रिपोर्ट : प्रभाकर मणि तिवारी
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