मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. childbirth
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019 (10:57 IST)

हुई मेडिकल क्रांति, तीन लोगों का साझा बच्चा पैदा हुआ

हुई मेडिकल क्रांति, तीन लोगों का साझा बच्चा पैदा हुआ | childbirth
ग्रीस और स्पेन के डॉक्टरों की एक टीम ने घोषणा की है कि तीन लोगों का डीएनए लेकर एक विवादित फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बाद बच्चा पैदा हुआ है। इस प्रक्रिया पर अच्छा खासा नैतिकता संबंधी विवाद हुआ था।
 
 
डॉक्टरों की टीम ने एक बांझ मां का अंडा, पिता का वीर्य और एक अन्य महिला का अंडा लेकर गर्भ धारण कराया जिसके बाद एक लड़का पैदा हुआ है। मेडिकल क्रांति कही जा रही इस प्रक्रिया में मां के अंडे के क्रोमोजोम के जेनेटिक तत्वों को डोनर महिला के अंडे में ट्रांसफर किया गया, जिसका अपना जेनेटिक मैटीरियल पहले ही हटा दिया गया था। इसी तरह की एक डीएनए स्विचिंग तकनीक 2016 में मेक्सिको में अपनाई गई थी ताकि मां की आनुवांशिक बीमारी को बच्चे में जाने से रोका जा सके।
 
 
लेकिन ग्रीस में पहला मामला है जब तीन लोगों का डीएनए लेकर बच्चा पाने में असमर्थ मां को गर्भवती बनाने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ग्रीस के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ ने एक बयान जारी कर रहा है कि बच्चा गुरुवार को पैदा हुआ और उसका वजन 2.96 किलो है। इससे पहले 32 साल की महिला ने कई बार इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की असफल कोशिश की थी।
 
 
इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ के अध्यक्ष डॉ. पनागियोटिस प्साथास ने कहा, "आज दुनिया में पहली बार अपने जेनेटिक मैटीरियल के साथ मां बनने का एक महिला का अक्षुण्ण अधिकार हकीकत बना है।" उन्होंने कहा कि ग्रीक वैज्ञानिकों के रूप में उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय खोज की घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है। डॉ. प्साथास ने कहा, "हम अपने डीएनए से गर्भ धारण करने की समस्या झेल रहे और जोड़ों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
 
 
मेक्सिको में हुए मामले में मां ले सिंड्रोम से ग्रसित थी। ये एक बिरली होने वाली बीमारी है जो विकसित होते नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है और घातक साबित हो सकती है। उसके मामले में इसकी वजह से उसके दो बच्चों की मौत हो गई थी। लेकिन तिहरी डीएनए तकनीक के इस्तेमाल ने नैतिकता संबंधी बहस छेड़ दी है।
 
 
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम चाइल्ड ने इस पर चिंता जताई है। उनका कहना है, "मैं बात से चिंतित हूं कि मरीज के अंडे के जेनेटिक मैटीरियल को हटाकर डोनर के अंडे में डालने की जरूरत साबित नहीं हुई है।" उन्होंने कहा कि इस तकनीक के जोखिमों के बारे में पूरी तरह पता नहीं है।
 
 
एमजे/एके (एएफपी)
 
ये भी पढ़ें
भारत में पहले चरण में उत्साहपूर्ण मतदान