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Last Modified: शनिवार, 29 सितम्बर 2018 (11:29 IST)

कर्ज में डूबे रहते हैं रैंप पर चमकते मॉडल

कर्ज में डूबे रहते हैं रैंप पर चमकते मॉडल | model
सांकेतिक चित्र

26 साल की क्लारा पेरिस फैशन वीक में रैंपवॉक कर चुकी हैं लेकिन जेब में इतने पैसे नहीं कि कास्टिंग एजेंसियों का कर्ज उतार सकें। यह कहानी सिर्फ क्लारा की नहीं है, बल्कि हर दूसरी मॉडल इसी कर्ज में डूबी है।
 
 
पेरिस, न्यूयॉर्क, मिलान के रैंप जब महंगे कपड़े और चमचमाते चेहरे के साथ मॉडल कैटवॉक करने उतरती हैं तो न जाने कितनी निगाहें उन पर टिकी होती हैं। कई जवान लड़की-लड़कियां उस जगह तक पहुंचने के सपने देखना भी शुरू कर देते हैं, लेकिन हकीकत इतनी हसीन नहीं है। सच्चाई तो यह है कि इनमें से कई मॉडलों को बस जेब खर्च चलाने के पैसे नसीब होते हैं। अधिकतर मॉडल तो कास्टिंग एजेंसियों के कर्ज में गले तक डूबे हैं।
 
 
26 साल की मॉडल क्लारा (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "सबसे खराब बात तो है कि यहां के माहौल के बारे में आप बाहर बात नहीं कर सकते क्योंकि हर एजेंसी सफल लड़कियों के साथ ही काम करना चाहता है, ऐसी लड़कियां जो ज्यादा झिक-झिक न करें।" कुछ मॉडलों ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उन्हें कपड़े और हैंडबैग्स के कार्यक्रमों से तो पैसे मिल जाते हैं लेकिन फैशन मैग्जीन शूट के लिए शायद ही किसी को कभी पैसा मिलता हो।
 
 
मॉडलों के अधिकारों के लिए 2018 की शुरुआत में पेरिस में "मॉडल ला" नाम से एक अधिकार समूह का गठन किया गया था। इसके मुताबिक "मीटू अभियान" के बाद मॉडलों के साथ होने वाले यौन शोषण में तो कमी आई हैं लेकिन अब कर्ज एक बड़ी समस्या है। 
 
 
कैसी है मजबूरी
क्लारा अपने स्कूल के जमाने से ही मॉडलिंग कर रही हैं। उन्होंने बताया, "पहली बार जब मैं पेरिस फैशन वीक में हिस्सा ले रही थी तब मेरी एजेंसी ने कार दी। उस कार को मैं अपने एयरबीएनबी अपार्टमेंट से अन्य मॉडलों के साथ आने-जाने के लिए इस्तेमाल करती थी। कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि मुझे ड्राइवर को रोज का 300 यूरो देना था। मैं कॉन्ट्रैक्ट साइन कर चुकी थी, कोई रास्ता नहीं था शो के बाद मुझ पर 3000 हजार यूरो का कर्ज था। इसके बाद मैं न्यूयॉर्क फैशन वीक के लिए गई। वहां भी हर विदेशी मॉडल की शुरुआत कर्ज से होती है क्योंकि वर्क वीजा बहुत महंगा पड़ता है।" 
 
 
क्लारा ने बताया, "मॉडल्स जिन अपार्टमेंट्स में रहती थीं, उसके लिए भी एजेंसी हर रात का 50 डॉलर वसूलती। कमरा भी तीन अन्य मॉडल के साथ शेयर करना पड़ता। जब कास्टिंग शुरू हुई तब मैं बीमार पड़ गई और पूरा काम नहीं कर पाई। घर लौटते-लौटते मुझ पर 8000 डॉलर का कर्ज था।"
 
 
हालात नहीं बुरे?
क्लारा कहती हैं, "मैं अब तक पेरिस और न्यूयॉर्क की एजेंसी के कर्ज में डूबी हुई हूं, लेकिन इन एजेंसियों के चलते ही मैं बहुत से काम कर पाई हूं। मुझे पेरिस शो में महज 400 यूरो में एंट्री मिली जबकि उसकी फीस 1100 यूरो थी।" इन सारी मुश्किलें झेलने के बाद भी क्लारा खुद को अन्य मॉडलों की तुलना में बेहतर मानती हैं।
 
 
उन्होंने कहा, "कमजोर परिवार से आने वाली 16-17 साल की मॉडलों के लिए जो ढंग से अंग्रेजी भी नहीं बोल पाती हालात ज्यादा मुश्किल वाले होते हैं।" अमेरिका की दो अनुभवी मॉडल भी ऐसे ही कर्ज में डूबे होने की कहानी कहती हैं। उन्होंने बताया कि कई बार ये कास्टिंग एजेंसियां कमाई का हिस्सा भी ले लेती हैं। आजकल पूर्वी यूरोपीय देशों और ब्राजील से बड़ी संख्या में लड़कियां कास्टिंग के लिए पहुंचती हैं और इस शोषण का शिकार बनती हैं।
 
 
सिर्फ दो फीसदी बेहतर
ऐसा भी नहीं है कि ये हालात सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। मॉडल ला समूह की सह-संस्थापक इकातरीना ओजीग्नोवा कहती हैं, "आम धारणा यही है कि इन मॉडलों की खूब कमाई होती होगी, लेकिन सच्चाई ये नहीं है। सिर्फ दो फीसदी लड़कियां ही अच्छी स्थिति में होती हैं। महिला मॉडलों के तुलना में पुरुष मॉडलों के हालात तो इससे भी बुरे हैं।"
 
 
ओजीग्नोवा को उम्मीद है कि मॉडल ला समूह, मॉडलिंग के पेशे से जुड़े लोगों की मदद कर सकेगा। साथ ही लोग खुलकर बात कर सकेंगे। उन्होंने बताया, "बिना मेहनताने वाला काम मॉडलों की जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप है। बमुश्किल किसी मॉडल को घंटों चलने वाले मैग्जीन शूट के लिए पैसे मिलते हैं।"
 
 
मॉडल ला अब फ्रांस की मॉडलिंग एजेसिंयों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सायनम के साथ बातचीत में हैं, ताकि इस पेशे से जुड़े लोगों की स्थिति कुछ बेहतर हो सके।
 
 
एए/ओएसजे (एएफपी)
 
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