भारत में तेजी से बिगड़ रहा है मानसिक स्वास्थ्य
साइंस पत्रिका लैंसेट ने मानसिक स्वास्थ्य पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत और चीन में मानिसक विकार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। तकरीबन 80 फीसदी लोग जो मनोविकार के शिकार हो जाते हैं, वो इलाज ही नहीं लेते हैं।
क्या हैं कारण
हिंसा, असमानता जैसे कारणों के चलते दुनिया के अमूमन हर देश में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर गौर नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारें न केवल मानसिक विकार को रोकने बल्कि अच्छा इलाज देने में भी असमर्थ साबित हो रहीं हैं।
2020 तक 20 फीसदी
रिपोर्ट की मानें तो भारत की करीब 6.5 फीसदी आबादी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त है। इसके साथ ही बीमारी का ये आंकड़ा साल 2020 तक 20 फीसदी को पार कर सकता है।
बढ़ते मामले
पिछली रिपोर्टों के मुताबिक भारत में साल 1990 के दौरान मानिसक बीमारियों के मामले महज 3 फीसदी थे, जो साल 2013 तक 6 फीसदी हो गए। हालांकि रिपोर्ट ने भारत में लाए गए, मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की तारीफ की है।
होगा नुकसान
रिपोर्ट कहती है कि मानसिक विकारों और बीमारियों के ये मामले भारत और चीन की आर्थिक वृद्धि को 2016 से 2030 के बीच 9,000 अरब डॉलर तक घटा सकते हैं।
दुनिया पर असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानिसक विकार के बढ़ते मामलों के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को साल 2030 तक 16,000 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।