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Last Modified: गुरुवार, 17 अगस्त 2017 (14:28 IST)

अपनों से जान बचाने जेल जाती हैं लड़कियां

अपनों से जान बचाने जेल जाती हैं लड़कियां - Jordan women
जॉर्डन की राजधानी अम्मान के एक गुप्त घर में 52 साल की फातिमा अपने जख्मों को सहलाते उस पल को याद करती हैं जब उनकी दुनिया हमेशा के लिए बदल गई। 30 साल पहले उनके पिता ने "परिवार की इज्जत बचाने" के लिए उन्हें गोली मार दी थी।
 
फातिमा की छोटी बहन शादी से बाहर गर्भवती हो गई थी और उनके पिता को लगा कि उनकी दोनों बेटियों को इसकी कीमत चुकानी चाहिए। फातिमा कहती हैं, "जब उन्होंने मेरी बहन को गोली मारी तो उसकी मौत हो गई। जब वो मेरी तरफ आए तभी पड़ोसियों ने पुलिस को खबर दे दी...मैं छह सात महीने अस्पताल में रही उसके बाद पुलिस ने मुझे यहां कैद कर दिया।"
 
डर के मारे वो अपना असल नाम भी नहीं बतातीं। फातिमा 22 साल तक जेल में रहीं। जॉर्डन का कानून प्रशासन को ये अधिकार देता है कि वो किसी महिला को हमले के खतरे से या फिर परिवार की इज्जत के नाम पर कत्ल होने से बचाने के लिए अनिश्चित काल तक कैद में रख सकता है।
 
फातिमा अब एक सामाजिक संस्था के बनाए खुफिया घर में अकेले रहती हैं। फातिमा कहती हैं, "आपकी जिंदगी चली गई, आपकी जवानी चली गई। आपने दुनिया में जो कुछ चाहा था वो सब चला गया।" महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था सिस्टरहुड इन ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एसआईजीआई) के मुताबिक एक अनुमान है कि जॉर्डन की महिला कैदियो में से 65 फीसदी से ज्यादा 60 साल पुराने इसी कानून के तहत जेलों में बंद हैं।
 
जॉर्डन में इज्जत के नाम पर कितनी हत्या होती है इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि 2016 में कम से कम 42 महिलाओं की हत्या उनके रिश्तेदारों ने कर दी। एसआईजीआई के मुताबिक ये संख्या पिछले साल की तुलना में करीब 60 फीसदी ज्यादा है।
 
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि हर साल इस तरह के 15 से 20 अपराध होते हैं। इज्जत के नाम पर हत्या यानी ऑनर किलिंग के सबसे ज्यादा मामलों के कारण जॉर्डन दुनिया भर में कुख्यात है। हालांकि हाल ही में वहां की सरकार ने लिंग के आधार पर होने वाले अपराध को रोकने और महिला अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। संसद ने इसी महिने उस विवादित कानून को खत्म करने के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया जिसमें बलात्कार करने वाला पीड़ित से शादी कर सजा से बच सकता है। इसके अलावा मार्च में सजा की धाराओं में संशोधन कर जजों को ऑनर किलिंग के मामले में दोषियों की सजा कम करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया।
 
मानवाधिकार के मामले में सरकार के संयोजक बासेल तारावनेह का कहना है, "जॉर्डन के नियम और परंपराएं अलग हैं लेकिन यहां की आबादी अब खासतौर से ज्यादा जागरूक, खुली और महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर समझदार हो गयी है।" तारावनेह ने कहा, "हम बदलाव की जरूरत को समझते है और जरूरी कदम उठा रहे हैं। इसके साथ समय के हिसाब से लगातार बदलाव के लिए इनमें बार बार संशोधन किया जाएगा।"
 
हालांकि महिला अधिकार संगठन कड़ी सजाओं की मांग कर रहे हैं और ये भी चाहते हैं कि महिलाओं को हत्या से बचाने के लिए कैद में रखने का कानून खत्म हो। इन महिलाओं की कैद को अकसर विकल्पों की कमी कह कर उचित ठहराया जाता है और ये भी कि पीड़ित महिला के लिए यह जगह सुरक्षित है।
 
32 साल की रिहाब को अपने पति को तलाक देने के बाद सात महीने तक अम्मान की जवादेह जेल में रहना पड़ा। रिहाब कहती हैं, "मैं नर्क से गुजरी और जवादेह की जेल में मैंने जो देखा वो मैंने कहीं नहीं देखा था,...लोग खुद को सीढ़ियों से नीचे फेंक देते, सिंक तोड़ कर अपने हाथ काट लेते, एक दूसरे का गला घोंटते और दांत काटते।" रिहाब ने भी डर के मारे अपना असली नाम नहीं बताया। इन महिलाओँ की दिक्कत ये है कि उन्हें जहां रखा जाता है वहां हर तरह के कैदी रहते हैं। 22 साल की कैद में फातिमा को भी दूसरी महिला कैदियों से भारी खतरे का सामना करना पड़ा। वो कहती हैं, "जब मैं अंदर गई तो मुजे हत्यारों, नशेड़ियों, चोरों और वेश्याओं की सेल में रख दिया गया। मुझे समझ ही में नहीं आता था कि मैं कौन थी और अब कौन हूं।"
 
महिलाओ को यहां से बाहर निकलने के लिए गवर्नर परिवार के किसी पुरुष सदस्य की गारंटी चाहते हैं। पुरुष रिश्तेदार को ये लिख कर देना होता है कि वो उनकी हिफाजत करेंगे। अकसर ये वही रिश्तेदार होते हैं जिनसे महिलाओ को खतरा होता है और ऐसे में गारंटी देने के बावजूद महिलाओं को छूटने के बाद ये उन्हें घायल कर देते हैं या फिर मार देते हैं। कैद में रहने वाली ज्यादातर महिलाओं के लिए शादी ही उनकी आजादी का एकमात्र रास्ता है। कैद में रहते हुए पति ढूंढना लगभग असंभव है ऐसे में उन्हें जो मिल जाए उसी को अपनाना होता है। अपने पिता के डर से भागने के बाद 26 साल की स्वासन ने दो साल कैद में गुजारे।
 
अपना असली नाम नहीं बताने वाली स्वासन कहती हैं, "मुझे जेल में एक आदमी देखने आया कि क्या मैं शादी के लिए ठीक हूं...अगले दिन ही मुझे गवर्नर के दफ्तर भेज दिया गया और गर्वनर ने मेरी शादी के प्रमाण पत्र पर दस्तखत कर दिए। दो बच्चे होने और चार साल बीतने के बाद वो इस स्थिति से बाहर निकिलने के लिए बेचैन हैं। क्योंकि उनका पति शराबी है, मारपीट करता है और उनके छोटे से घर को चलाने के लिए बहुत कम पैसा देता है।
 
सरकार ने दिसंबर में खतरा झेल रही महिलाओं के लिए एक आवास बनाने का एलान किया लेकिन अब तक ऐसी कोई इमारत नहीं दिखी है।
 
- एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
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