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Last Modified: शनिवार, 5 जनवरी 2019 (12:22 IST)

लंबे समय से ननों का शोषण कर रहे हैं भारत के पादरी

लंबे समय से ननों का शोषण कर रहे हैं भारत के पादरी | indian pastors rapist
भारत के चर्चों में पादरियों और बिशपों ने ननों का अथाह यौन शोषण किया है। बलात्कार की कई वारदातें हुई हैं। लेकिन इस सब पर चर्च की चुप्पी को लेकर समाचार एजेंसी एपी ने की है विस्तार से छानबीन।
 
कैथोलिक मठों के सीटिंग रूम में, ईसा मसीह की निहारती हुई तस्वीर। बिना शोर मचाए चलते पंखे और वहां फुसफुसाहट में बात करती ननें। पूरे भारत में ननें ऐसी घटनाओं की जिक्र करती हैं जब चर्च से जुड़े पादरी उनके बेडरूम में घुसे। कुछ पादरियों ने करीबी मित्रता को सेक्स तक ले जाने का दबाव बनाया। ननें जबरन छुए और चूमे जाने के वाकये भी बताती हैं। ये सब उन पुरुषों ने किया जिन्हें ननें ईसा मसीह का प्रतिनिधि मानती हैं।
 
अपने साथ हुई उत्पीड़न की एक घटना का जिक्र करते हुए एक नन ने कहा, "वह शराब के नशे में था।" दूसरी ने कहा, "तुम्हें नहीं पता कि ना कैसे कहना चाहिए।" कई ननें बार बार हुए बलात्कार का जिक्र करती हैं। वे यह भी बताती हैं कि कैथोलिक चर्च के पदक्रम ने उनकी सुरक्षा के लिए बहुत ही कम कदम उठाए।
 
कैथोलिक चर्च के सेंटर कहे जाने वाले वेटिकन को लंबे समय से पता है कि एशिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका में पादरी और बिशप ननों का यौन शोषण करते आ रहे हैं। इसे रोकने के लिए वेटिकन ने बहुत ही कम कोशिशें की हैं। समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने 2018 में यह रिपोर्ट लिखी थी।
 
अब एपी ने भारत को चुनते हुए वहां ऐसे मामलों की पड़ताल की है। इस दौरान पता चला है कि भारत में दशकों से चर्च परिसर के भीतर ननों का यौन शोषण हो रहा है। ननों ने विस्तार से बताया कि कैथोलिक पादरी कैसे सेक्स के लिए उन पर दबाव डालते हैं। ननों, पूर्व ननों और पादरियों समेत दो दर्जन लोगों ने कहा कि ऐसे मामलों की उन्हें सीधी जानकारी है।
 
इसके बावजूद भारत की ननों की समस्या धुंधली पड़ी रहती है। इसकी वजह चुप रहने की संस्कृति भी हो सकती है। कई ननों को लगता है कि शोषण तो आम है, वे यह भी मानती हैं कि ज्यादातर सिस्टर्स सेक्स की कोशिश करने वाले पादरी से दूरी बना सकती हैं। कुछ को लगता है कि ऐसे मामले दुर्लभ हैं। कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं, ज्यादातर ननें तभी बात करती हैं जब उन्हें यह तसल्ली दी जाए कि उनकी पहचान छुपाई जाएगी।
 
लेकिन 2018 की गर्मियों ने एक भारतीय नन को इस शोषण को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। चर्च के अधिकारियों से बार बार शिकायत करने के बाद भी जब कोई उत्तर नहीं मिला तो 44 साल की नन ने पुलिस ने केस दर्ज कराया। नन ने आरोप लगाया कि उनके धार्मिक मामलों के लिए जिम्मेदार बिशप ने दो साल में 13 बार उनसे बलात्कार किया। इसके बाद भारत में कैथोलिक चर्च के केंद्र कहे जाने वाले राज्य केरल में पीड़ित नन के साथ अन्य ननों ने भी दो हफ्ते तक प्रदर्शन किया। ननों ने बिशप की गिरफ्तारी की मांग की।
 
यह अभूतपूर्व कदम था, जिसने भारत के कैथोलिक समुदाय को बांट दिया। आरोप लगाने वाली नन और उनका समर्थन करने वाली ननों को कॉन्वेंट (ईसाई मठ) में अलग थलग कर दिया गया। अब वे बिशप का बेकसूर बताने वाली ननों के संपर्क में नहीं आ पाती हैं। विरोध करने वाली ननों को घृणा भरे पत्र भेजे गए। अब वे बाहर निकलने से बचती हैं।
 
बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन करने वाली सिस्टर जोसेफीन विलूननिकल कहती हैं, "कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि हम चर्च के खिलाफ काम कर रहे हैं, हम चर्च के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि तुम शैतान की उपासना कर रही हो।" जोसेफीन मानती हैं कि उन्हें "सच के साथ खड़े रहने की जरूरत है।"
 
जोसेफीन 23 साल से नन हैं। किशोरावस्था में वह चर्च से जुड़ीं। वह इस आरोप को खारिज करती हैं कि वह चर्च को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं, "हम सिस्टर्स के तौर पर ही मरना चाहते हैं।"
 
कुछ ननों के बुरे अनुभव दशकों पुराने हैं। 1990 के दशक में एक सिस्टर कैथोलिक स्कूल में पढ़ा रही थीं। बाद में वह मठ से जुड़ गईं। इस दौरान वह नई दिल्ली के रिट्रीट सेंटर में गईं। वहां युवा ननें जमा हुई थीं। उन्हें ज्ञान देने के लिए एक पादरी भी वहां था। भारत में कई बरसों तक गरीब और बेसहारा महिलाओं के कल्याण करने वाली उस महिला नन ने जब नई दिल्ली की रिट्रीट की बात की तो उनकी आवाज में अचानक फुसफुसाहट में बदल गई। नई दिल्ली में मिले पादरी के बारे में उन्होंने कहा, "मुझे महसूस हुआ कि इस शख्स के दिमाग में शायद कोई विचार चल रहा है, कोई आकर्षण।"
 
पुजारी की उम्र 60 के पार थी। वाकया बताने वाली नन उस वक्त पादरी से 40 साल छोटी थी। नन ने बताया कि एक रात पादरी पड़ोस की पार्टी में गया। वह रात में देर से आया, साढ़े नौ बजे के बाद। पादरी ने नन का दरवाजा खटखटाया और कहा, "मुझे तुमसे मिलना है।" अधखुले दरवाजे से पादरी ने कहा कि मैं आध्यात्मिक जीवन के बारे में तुमसे बात करना चाहता हूं। नन को पादरी से शराब की महक आई। नन ने कहा, "आप सही स्थिति में नहीं हैं। मैं आपसे मिलने के लिए तैयार नहीं हूं।"
 
लेकिन पादरी ने जबरन दरवाजा खोल दिया। उसने नन को चूमने की कोशिश की। नन को जकड़ लिया और इधर उधर छूने लगा। नन रोने लगी। नन ने पादरी को धक्का देकर बाहर किया और दरवाजे को भीतर से लॉक कर दिया। वह बलात्कार नहीं था, लेकिन नन कहती हैं कि उस दिन बहुत बुरा भी हो सकता था। दशकों बाद आज भी वह वाकया उनमें सिहरन पैदा कर देता है।
 
पादरी की हरकत की जानकारी नन ने अपनी मदर सुपरवाइजर को दी। मदर सुपरवाइजर ने उन्हें पुजारी के साथ मीटिंग से बचने की छूट दी। नन ने गुप्त रूप से चर्च अधिकारियों को कई खत भी लिखे। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ भी खुलकर नहीं कहा गया। सार्वजनिक तौर पर कोई फटकार नहीं लगी। लंबे करियर में उस पादरी के साथ काम करने वाली कई ननों को कोई चेतावनी नहीं दी गई।
 
वह कहती हैं कि इस मुद्दे को खुलकर उठाने में तब वह डर गईं, "मैं कोई स्टैंड लेने की सोच भी न सकी। वह बहुत ही डरावना था। मेरे लिए वह अपनी वोकेशन को जोखिम में डालना था।"
 
कैथोलिक धर्म के इतिहास में कौमार्य को शुद्धता से जोड़कर पेश किया जाता है। कौमार्य की रक्षा के लिए जान देने वाले कुछ महिलाओं को संत की उपाधि भी दी गई है। इसके बावजूद आज भी एक नन के लिए पादरी की यौन इच्छाओं को रोकना, बगावत करने जैसा है। धार्मिक कैथोलिक जीवन में नन का वर्जिन रहना अनिवार्य है। कई ननें कहती हैं कि ऐसी सिस्टर्स जो यौन अनुभव स्वीकार करती हैं, भले ही वे जबरन ही क्यों न हों, उन्हें अकेलेपन या बर्खास्तगी का जोखिम उठाना पड़ सकता है।
 
केरल की और नन कैथोलिक एक सेंटर में एक बुजुर्ग पादरी द्वारा किए गए शोषण का जिक्र करती हैं। नन के मुताबिक वह पादरी गोवा का था। नन कहती हैं कि एक बार वह नेकदिली से सूख चुके कपड़े लेकर पादरी के कमरे में गईं। जब वह कपड़े एक जगह रख रही थीं तब पादरी ने उन्हें पकड़ लिया और चूमना शुरू कर दिया। अपनी छाती की ओर इशारा करते हुए नन ने कहा कि, "यहीं चूमा जा रहा था। मैं युवा थी। वह गोवा से था। मैं केरल से थी। मैं यह सोच रही थी कि क्या गोवा के लोग इस तरह किस करते हैं?"
 
लेकिन उन्हें तुरंत ही पता चल गया कि क्या हो रहा है। वह कहती हैं, "मैं चीख नहीं सकती थी। वह एक पादरी था। मैं उसे नाराज नहीं करना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि वह बुरा महसूस करे।" इसी दौरान किसी तरह वह दरवाजे से भागने में सफल हो गईं। उन्होंने सीनियर नन को इसकी जानकारी दी। आधिकारिक शिकायत भी की गई।
 
लेकिन चर्च में किसी पादरी की शिकायत करने का मतलब यह भी है कि पदक्रम में ऊंचे अधिकार पर आरोप लगाया जा रहा है। इसके बाद दुर्भावना से सनी अफवाहें उड़ती हैं और चर्च का राजनीति शुरू हो जाती है। शिकायत करने वाले अपना सम्मान खो सकता है।
 
नई दिल्ली में तैनात चर्च अधिकारी आर्चबिशप कुरियाकोसे भारानिकुलांगारा कहते हैं, "ज्यादातर लोग बात नहीं करना चाहते। वे समुदाय के बीच बात कर सकते हैं, लेकिन वे इसे जनता और कोर्ट के सामने नहीं लाना चाहते।" आवाज उठाने का मतलब आर्थिक परेशानी भी होगी। कई ननों के समूह वित्तीय रूप से पादरियों और बिशपों के अधीन होते हैं।
 
1।3 अरब जनसंख्या वाले भारत में कैथिलक ईसाइयों की संख्या करीब 1.8 करोड़ है। हिंदू बहुल देश में कैथोलिक ईसाई एक अल्पसंख्यक समुदाय हैं। कई ननों को लगता है कि यौन शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करना, चर्च की प्रतिष्ठा धूमिल कर सकता है। हिंदू कट्टरपंथियों की आलोचना झेलनी पड़ेगी।
 
पुलिस के रिकॉर्ड में भी बलात्कार का आरोप झेल रहे बिशप का नाम फ्रांको है। केरल के एक कस्बे में बड़े हुए फ्रांको स्मार्ट और महात्वाकांक्षी कहे जाते हैं। बड़ी तेजी से वह सीनियर होते गए और उत्तर भारत में बिशप के रूप में तैनात किए गए। वह 81 ननों के समुदाय के अधिकारी भी बनाए गए। बजट और काम के निर्धारण में उनका मजबूत दखल था। एक नन के मुताबिक कुछ कुछ महीनों के भीतर फ्रांको सेंट फ्रांसिस कॉन्वेंट का दौरा करते  थे और उन्हें बुलाते थे। इसके बाद नन ने चर्च अधिकारियों को लिखे खत में कहा कि बिशप ने उनसे बलात्कार किया। खत के मुताबिक पहली बार पांच मई 2014 को और आखिरी सितंबर 2016 को। यह तारीखें कॉन्वेंट की विजिटर्स लॉग बुक में भी दर्ज हैं।
 
फ्रांको तल्खी के साथ आरोपों को खारिज करते हैं। वह आरोपों को आधारहीन बनाते हुए नन पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हैं। फ्रांको के मुताबिक सिस्टर उन्हें बेहतर काम देने के लिए ब्लैकमेल कर रही है। मामले की जांच चल रही है। फ्रांको तीन हफ्ते जेल में बिताने के बाद अक्टूबर 2018 में जमानत पर रिहा हुए। केरल के कोने कोने में फैले कैथोलिक ईसाइयों के बड़े तबके ने फ्रांको को खूब सम्मान दिया। जेल में भी समर्थक उनसे मिलने गए। फ्रांको के जमानत पर बाहर आने पर, "हृदय से स्वागत" जैसे बैनर दिखाई पड़े।
 
आरोप लगाने वाली नन और उनका साथ देने वाली साथी ननें इस सब से स्तब्ध सी हैं। जेसोफीन कहती हैं, "कोई सिस्टर को देखने नहीं आया, लेकिन जेल में लाइन लगातर बिशप फ्रांको से मिलने वाले बहुत लोग थे।"
 
रिपोर्ट: टिम सुलिवेन (एपी)
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