विश्व की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत में भुखमरी आज भी बड़ी समस्या है। 2 निजी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। 117 देशों वाले सूचकांक में भारत 102वें नंबर पर है। भारत को 30.3 के स्कोर के साथ गंभीर श्रेणी में रखा गया है।
अंतराष्ट्रीय संस्था 'कंसर्न वर्ल्डवाइड' और जर्मनी की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक 'वेल्ट हंगर हिल्फ' द्वारा बनाए गए इस सूचकांक, वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की 2019 की रैंकिंग आ गई है। 117 देशों वाले सूचकांक में भारत 102वें नंबर पर है। भारत को 30.3 के स्कोर के साथ गंभीर श्रेणी में रखा गया है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान 94वें पायदान पर है, नेपाल 73 पर और बांग्लादेश 88 पर। भारत का स्थान कुछ अफ्रीकी देशों से भी नीचे है। सिर्फ अफ्रीका के कुछ अत्यंत पिछड़े देश ही भारत से नीचे हैं।
पिछले सूचकांकों के मुताबिक 2010 में 24.1 के स्कोर के साथ भारत 67वें पायदान पर था। ऐसा लगता है कि भारत 9 साल में 35 पायदान नीचे खिसक गया है, लेकिन इस सूचकांक को बनाने वालों का कहना है कि इस तरह की तुलना ठीक नहीं होगी। उनका कहना है कि सूचकांक जिस डाटा पर आधारित है उसमें निरंतर संशोधन और सुधार होते रहते हैं, जिसकी वजह से हर साल की रैंकिंग अलग होती है।
इसके अलावा स्कोर का आकलन करने के तरीके में भी बदलाव आया है जो आगे भी जारी रहेगा। एक और बात ध्यान देने लायक है कि हर साल रैंकिंग में नए-नए देशों को भी शामिल किया जाता है, जो कि उनकी डाटा मुहैया कराने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। अगर किसी साल में किसी देश की रैंकिंग पिछले किसी साल की तुलना में बदल जाती है, तो इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि इस बार उस देश की तुलना दूसरे देशों के समूह से की गई हो।
सूचकांक के मुताबिक, साल 2000 से लेकर 2019 तक भारत में भूख का स्तर घटा तो है, पर स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। सूचकांक 4 मानकों पर आधारित है- देश की पूरी जनसंख्या में अल्पपोषित (जिनका कैलोरी ग्रहण पर्याप्त नहीं है) लोगों का अनुपात, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 'वेस्टिंग' (लंबाई के हिसाब से वजन का कम होना, जो अत्यधिक अल्पपोषण को दिखाता है) का प्रसार, उनमें 'स्टंटिंग' (उम्र के हिसाब से लंबाई का कम होना, जो दीर्घकालिक अल्पपोषण को दर्शाता है) का प्रसार और उनकी मृत्यु दर।
भारत में 14.5 प्रतिशत आबादी अल्पपोषित है, जो की 2000 में 18.2 प्रतिशत थी, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 'वेस्टिंग' का प्रसार 20.8 प्रतिशत है, जो 2000 में 17.1 था, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 'स्टंटिंग' का प्रसार 37.9 प्रतिशत है, जो 2000 में 54.2 प्रतिशत था, और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 3.9 प्रतिशत है, जो 2000 में 9.2 प्रतिशत थी।
भारत का ये प्रदर्शन चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि इस सूचकांक के अनुसार वैश्विक स्तर पर भूख और पोषण की कमी के स्तरों में सुधार देखा जा रहा है। इसे वैश्विक गरीबी के स्तर में हो रही गिरावट के साथ भी देखा जा सकता है, क्योंकि गरीबी और भूख आपस में जुड़े हुए हैं।
सूचकांक की रिपोर्ट यह भी कहती है कि अपनी बड़ी आबादी की वजह से, भारत के नतीजों का दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के नतीजों पर भारी असर पड़ता है। भारत में बच्चों में 'वेस्टिंग' की दर को विशेष रूप से अत्यधिक गंभीर बताया गया है और रिपोर्ट के लिए आकलन किए गए सभी 117 देशों में सबसे ज्यादा बताया गया है। भारत में 6 से 23 महीने की उम्र के बच्चों में सिर्फ 9.6 प्रतिशत बच्चों को न्यूनतम स्वीकार योग्य भोजन मिलता है।
बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालने वाले और मानकों को भी रेखांकित किया गया है, जैसे शौच के लिए भी पर्याप्त सुविधाओं का न उपलब्ध होना। रिपोर्ट कहती है कि 'स्वच्छ भारत मिशन' के बावजूद आज भी भारत में लोग खुले में शौच करते हैं और इससे भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।