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Written By DW
Last Updated : गुरुवार, 2 जुलाई 2020 (12:40 IST)

जर्मनी बना यूरोपीय संघ का अध्यक्ष : क्या होंगी प्राथमिकताएं?

Angela Merke | जर्मनी बना यूरोपीय संघ का अध्यक्ष : क्या होंगी प्राथमिकताएं?
रिपोर्ट क्रिस्टोफ श्ट्राक
 
सदस्य देशों को बारी-बारी से मिलने वाली यूरोपीय संघ की अध्यक्षता अगले 6 महीने जर्मनी के हाथों में होगी। बतौर चांसलर एंजेला मर्केल के लिए यह आखिरी मौका है, जब जर्मनी 27 देशों वाले संघ का नेतृत्व कर रहा है।
यूरोपीय संघ की परिषद के अध्यक्ष के तौर पर जर्मनी का नया कार्यकाल 1 जुलाई को शुरू हुआ। लेकिन इससे कुछ दिन पहले ही मर्केल ने कहा कि यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि हम यूरोपीय संघ के इतिहास का सबसे गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे हैं। चांसलर के तौर पर मर्केल अपना आखिरी कार्यकाल पूरा कर रही हैं। ऐसे में यूरोपीय संघ और खुद उनके सामने जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटना आसान नहीं होगा।
 
दुनियाभर की आर्थिक सेहत को तगड़ा धक्का पहुंचाने वाली कोरोना महामारी कुछ कमजोर पड़ी है लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ऐसे में साझा यूरोपीय परियोजनाओं में नई जान फूंकना सबसे जरूरी है। अगर सब कुछ ठीक रहा,हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है तो ब्रेक्जिट यानी यूरोपीय संघ के तीसरे सबसे बड़े सदस्य ब्रिटेन का संघ से बाहर जाना और अर्थव्यवस्था जर्मनी के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकताएं होंगी।
एक निजी जुनून
 
मर्केल के लिए यूरोप कभी एक सहज क्षेत्र नहीं रहा है। इस सिलसिले में घरेलू राजनीति में उनकी तुलना कभी-कभी उनके पूर्ववर्ती सीडीयू चांसलर हेल्मुट कोल से की जाती है। कोल ने पहले विश्वयुद्ध में अपने चाचा को खोया और दूसरे विश्वयुद्ध में अपने बड़े भाई को। उन्होंने जो कष्ट सहा, उसके कारण यूरोपीय प्रोजेक्ट में उनका बहुत विश्वास था। उनके लिए यूरोपीय सहयोग को बढ़ाना और दुश्मनों को मित्रों में तब्दील करना एक निजी जुनून था।
 
इसीलिए एक कंजरवेटिव राजनेता कोल की फ्रांस के मध्य वामपंथी राष्ट्रपति फ्रांसुआ मितरौं के साथ इतनी गहरी दोस्ती हो पाई। यूरोप में चलने वाली साझा मुद्रा यूरो इन्हीं दोनों की साझा कोशिशों का नतीजा है।
 
पिछली बार जर्मनी 2007 के शुरुआती 6 महीनों के लिए यूरोपीय संघ का अध्यक्ष बना था। वित्तीय संकट शुरू होने से ठीक पहले। उस समय बतौर चांसलर मर्केल का पहला कार्यकाल था। वे घरेलू मोर्चे पर अपने पैर जमा रही थीं। तब 17 जनवरी 2007 को उन्होंने कहा था कि मैंने अपना पूरा जीवन यूरोप में बिताया है लेकिन यूरोपीय संघ में मैं खुद काफी कुछ नया पाती हूं, क्योंकि मैं पूर्वी जर्मनी में पली-बढ़ी हूं। उन्होंने कहा कि 35 साल की उम्र तक मैं बाहरी व्यक्ति के तौर पर यूरोपीय संघ को जानती थी, 1990 के बाद से मैं इसे एक अंदर वाले व्यक्ति के तौर पर जानने लगी।
 
क्या यूरोपीय संघ दरक रहा है?
 
2020 में अब फिर बड़ा संकट सामने खड़ा है। मर्केल उत्साहित और निर्णायक दिखाई पड़ती हैं। ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ के ढांचे में दिख रहीं दरारों ने मर्केल को इस तरह सक्रिय होने के लिए मजबूर किया है। सदस्य देशों ने कोरोना संकट में अपनी सीमाएं बंद कर दीं और कई देशों में राष्ट्रवाद हिलौरे मार रहा है। 65 वर्षीय मर्केल के करीबी लोग कहते हैं कि यूरोपीय संघ का मुद्दा मर्केल के दिल के उसी तरह करीब हो गया है जिस तरह कोल के था।
उन्होंने महामारी को देखते हुए यूरोपीय बजट में हिस्सेदारी की जर्मन लक्ष्मण रेखा के सिलसिले में रियायत या आधी रियायत दी है। मई के मध्य में मर्केल और मैक्रों ने जो राहत पैकेज पेश किया, उसका मकसद जरूरतमंद और कर्ज में दबे देशों की मदद करना है, खासकर इटली और स्पेन जैसे देशों की। पहली बार यूरोपीय संघ के देशों को ऐसी मदद दी जा रही है जिसे चुकाना जरूरी नहीं होगा।
 
मैक्रों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मर्केल ने कहा कि यूरोपीय संघ अपने इतिहास की सबसे गंभीर चुनौती झेल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा संकट उचित कदमों की मांग करता है। मर्केल और मैक्रों का स्पष्ट संदेश है कि यूरोपीय संघ की बुनियाद रखने वाले देश इसे मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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