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Last Modified: सोमवार, 5 अगस्त 2019 (11:33 IST)

डॉक्टर से नहीं अब ऐप से जानिए बीमारी के बारे में

डॉक्टर से नहीं अब ऐप से जानिए बीमारी के बारे में | ada app
बीमारी के ईलाज के लिए डॉक्टर के पास जाने की जगह अगर हर दम हमारे साथ रहने वाला मोबाइल ही डॉक्टर बन जाए तो कैसा हो? अब एक ऐप ऐसा भी है जो डॉक्टर का काम करेगा।
 
आपको तबीयत ठीक नहीं लग रही है, सिर में दर्द है। आप एक ऐप में अपनी बीमारी के लक्षण लिखते हैं। फिर आपका मोबाइल आपसे एक डॉक्टर की तरह बात करता है, करीब 20 सवालों के जवाब देने के बाद ये आपको बीमारी का ईलाज बता दे। ऐडा नाम का एक ऐप यही काम कर रहा है। लेकिन क्या यह ऐप चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होगा?
 
इस ऐप को बनाने वाले डानियल नाथराथ तो ऐसा ही सोचते हैं,"मैं सोचता हूं कि यह कुछ तरीकों से डॉक्टर की भूमिका को बदल देगा। मैंने पिछले 10 सालों में कई सारे डॉक्टरों से बात की है और मेरा मानना है कि अच्छे डॉक्टर वही हैं जो यह मानते हैं कि तकनीक की सहायता से वे और भी बेहतर हो सकते हैं।"
 
8 साल तक डॉक्टरों और ऐप डेवलपर्स ने 1000 रिसर्चों से आए डाटा को पढ़ने के बाद इस ऐप को बनाया है। इस ऐप को बनाने के लिए मेडिकल क्षेत्र की सहायता प्रदान करने वाली एवेलीना टुएर्क बताती हैं," 8 सालों तक लक्षणों को जानने के बाद ये नतीजे निकले हैं। इस ऐप में एक तरफ वे लक्षण हैं जिनमें से रोगी को चुनना होता है। दूसरी तरफ इन लक्षणों के हिसाब से होने वाली संभावित बीमारी होती है।" इस ऐप को दुनियाभर में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके द्वारा बताए गए उपाय भी सही होते हैं। इसके सही होने का प्रतिशत भी असली डॉक्टरों जितना ही पाया गया है। ऐप डेवलपर्स इसे और सही बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
एवेलीना टुएर्क कहती हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल का मतलब है कि यह ऐप फीडबैक में मिलने वाले जवाबों से अपडेट होता जाता है। यह फीडबैक चाहे निदान के बारे में हो या ऐप द्वारा दिए गए सुझावों के सही होने के बारे में। लेकिन यह अपने आप नहीं होता है। डॉक्टर देखते हैं कि दी गई प्रतिक्रिया के हिसाब से ये बदलाव सही है भी या नहीं। इस तरह यूजर यह नहीं कह सकेंगे कि ऐप ने उन्हें कुछ गलत बताया। लेकिन यह रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे काम करता है, यह जयपुर के रहने वाले सूरज गुर्जर अच्छे से बता सकते हैं। सूरज उन 70 लाख लोगों में से हैं जो इस ऐप का इस्तेमाल करते हैं।
 
सूरज का कहना है कि उन्हें अपनी नाक में परेशानी महसूस हुई। उन्होंने ऐप पर अपनी बीमारी के लक्षणों को बताया। ऐप ने उन्हें नाक में इंफेक्शन बताया जो गंभीर समस्या भी हो सकती है। गंभीर बीमारी की बात आने पर यह ऐप मरीज को डॉक्टर के पास जाने की सलाह देता है। जैसे ही ऐप से पता लगा कि सूरज को नाक का इंफेक्शन हो सकता है, वे डॉक्टर के पास चले गए। उनके डॉक्टर ने भी इसे सही बताया। डॉक्टर सुरेंद्र काला इस ऐप के बारे में कहते हैं," इनकी बीमारी से जुड़े हुए अधिकतर लक्षण उस ऐप में मौजूद थे। मुझे नहीं लगता कि यह ऐप डॉक्टरों की जगह ले सकेगा क्योंकि मरीज की क्लीनिकल जांच ईलाज के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन यह उपयोगी तो है।"
 
डेवलपर्स का मानना है कि जल्दी ही यह ऐप किसी भी बीमारी के शुरुआती लक्षणों को जानकर ही मरीज को उसका ईलाज बताने में सक्षम होगा। डानियल नाथराथ का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का फायदा लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में जरूर मिलेगा। कई मामलों में तो यह ऐप किसी भी बीमारी की पहचान शुरुआती दौर में ही कर लेगा। हालांकि ऐसा करने के लिए इस ऐप को सालों तक यूजर के साथ काम करना होगा और उसका डाटा जमा करना होगा।
 
ऐप डेवलपर्स का कहना है कि यूजर द्वारा दिए गए डाटा को सिर्फ ऐप के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस को लेकर निजता संबंधी दिक्कतें भी हैं। क्योंकि लंबा जीवन जीने के लिए यूजर को अपने जीवन से जुड़ी हुई आदतों के बारे में ऐप को जानकारी तो देनी ही होगी। और कौन यूजर किस हद तक जानकारी दे सकता है, यह उस यूजर की प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
 
रिपोर्ट: मिल्टो श्मिट/आरएस
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