महेंद्र सिंह धोनी... कहने को तो सिर्फ तीन अक्षरों का नाम है लेकिन इस नाम के मायने अनेक हैं। करोड़ों भारतवासियों के दिलों पर राज करता है ये नाम... कई फैंस तो ऐसे हैं जिन्होंने सिर्फ धोनी को देखने के लिए क्रिकेट को जीना शुरू किया। आज धोनी अपना 40वां जन्मदिन मना रहे हैं।
क्रिकेट के गलियारों में एमएस धोनी का बर्थ डे एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। धोनी के जन्मदिन के उपलक्ष पर आईसीसी ने भी एक ऐसा वीडियो शेयर किया है, जो हर एक धोनी फैन के लिए बेहद खास है। आईसीसी ने इस वीडियो के जरिए यह दर्शाया है कि आखिर क्यों महेंद्र सिंह धोनी को कैप्टन कूल के नाम से जाना जाता है।
आईसीसी ने वीडियो को शेयर किया और कैप्शन देते हुए लिखा, यह कारण है जो धोनी को कैप्टन कूल बनाता है... उनके जन्मदिन के मौके पर चलिए डालते हैं एक नजर उन खास पलों पर जब धोनी ने एक निर्णायक लेकर पूरे मैच का रूख ही बदलकर रख दिया।
2007 टी20 विश्व कप का आखिरी ओवर
2007 टी20 विश्व कप का फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था और अंतिम ओवर में पाकिस्तान को 13 रनों की दरकार थी। उस समय पाक टीम की सारी निगाहें मिस्बाह उल हक पर टिकी हुई थी औत भारत के लिए गेंदबाजी करने आए जोगिन्द्र शर्मा। जोगिन्द्र के हाथों में गेंद देख तब पूरे क्रिकेट जगह हैरान रह गया था, क्योंकि अनुभवी हरभजन सिंह का एक ओवर शेष था।
मगर धोनी ने जोगिन्द्र शर्मा के हाथों में गेंद थमाई। हालांकि, जोगिन्द्र ने पहली गेंद वाइड डाली और उसकी अगली ही गेंद पर मिस्बाह ने उनको एक छक्का भी लगाया। पहली दो गेंदों के बाद लगने लगा था कि अब शायद मैच भारत के हाथ से निकल जाएगा लेकिन धोनी ने हार नहीं मानी और जोगिन्द्र शर्मा को कुछ टिप्स दिए। नतीजन जोगिन्द्र शर्मा की अगली गेंद पर स्वीप करने के प्रयास में मिस्बाह अपनी विकेट खो बैठे और भारत ने वर्ल्ड कप जीत इतिहास रचा।
2015 मैक्सवेल को फंसाने के लिए सामने आए अश्विन 2015 के वनडे वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में खेला गया था। मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था और मध्यक्रम में ग्लेन मैक्सवल ने बल्लेबाजी पर आते ही बड़े शॉट्स लगाना शुरू कर दिया था। तभी धोनी ने अपना दिमाग लगाया और आर अश्विन को गेंदबाजी सौंपी।
अश्विन के खिलाफ मैक्सवेल का ट्रैक रिकॉर्ड को कुछ खास नहीं रहा था और इसका फायदा धोनी ने सेमीफाइनल में उठाया और एक बड़ा शॉट लगाने की कोशिश में मैक्सवेल 23 के स्कोर पर अश्विन को अपनी विकेट दे बैठे।
2012 का टी20 वर्ल्ड कप (भारत बनाम इंग्लैंड)2012 का टी20 वर्ल्ड कप श्रीलंका के मैदानों पर खेला गया था और एक मैच में भारत का सामना इंग्लैंड से था। मैच में भारत ने इंग्लैंड के सामने 171 रनों का लक्ष्य रखा था और इंग्लैंड ने तेजी के साथ लक्ष्य का पीछा करने का सोचा। इंग्लैंड के लियूक राइट ने मैदान पर आने के साथ ही बड़े शॉट्स लगाना शुरू कर दिया। ऐसे में धोनी ने विपक्षी टीम के बल्लेबाजों पर दबाव डालने के लिए एकदम विकेट के पास आकर खड़े हो गए और अगली ही गेंद पर इरफान पठान ने राइट को एलबीडबल्यू आउट कर धोनी की रणनीति को सही साबित कर दिखाया।
2016 का टी20 वर्ल्ड कप (भारत बनाम बांग्लादेश) भारत और बांग्लादेश के बीच 2016 में खेला गया यह टी20 मैच सबसे लोकप्रिय माना जाता है। मैच में बांग्लादेश को अंतिम ओवर में 11 रनों की दरकार थी और टीम को जीत का फेवरेट माना जा रहा था और गेंदबाजी आक्रमण पर भी हार्दिक पांड्या ही थे, जिन्होंने कुछ ही समय पहले अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था।
अंतिम गेंद पर बांग्लादेश को 2 रनों की जरूरत थी और धोनी ने उस समय अपना दिमाग दिखाते हुए एक हाथ का ग्लव्स उतार दिया, ताकि अगर उनके पास गेंद आए तो वही तेजी के साथ उसको विकेट पर मार सके और हुआ भी कुछ ऐसा ही। गेंद धोनी के पास आई और उन्होंने तेजी के साथ भागकर गेंद को स्टंप पर मारा और भारत एक रन से जीत गया।
इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत का सामना वेस्टइंडीज से हुआ था और विंडीज जीत की ओर बढ़ रही थी, लेकिन तभी ने धोनी ने एक बड़ा रिस्क लेते हुए गेंद विराट कोहली के हाथों में थमा दी और उन्होंने भी पहली ही गेंद पर जोनसन चार्ल्स (52) को आउट कर धोनी के फैसले को सही साबित कर दिखाया।
2011 फाइनल जब युवी से पहले आए बल्लेबाजी पर अब 2011 के वनडे वर्ल्ड कप को ले लीजिए... भारत को जीतने के लिए 275 रन बनाने थे और एक समय टीम का स्कोर 114/3 था और उस समय बल्लेबाजी के लिए शानदार फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह को आना था लेकिन धोनी ने खेल की परिस्तिथि को भांपा और श्रीलंका की स्पिन गेंदबाजी को ध्यान में रखते हुए खुद बल्लेबाजी के लिए।
इससे पहले इस विश्व कप धोनी बतौर बल्लेबाज कुछ खास लय में नजर नहीं आए थे लेकिन फाइनल में उन्होंने एक ऐसी पारी खेली जो सदा के लिए इतिहास बन गई। धोनी ने 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन बनाए और भारत 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने में सफल रहा।