नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी ने जब पैरालंपिक खेलों के लिए भाविनाबेन पटेल की तैयारियों को प्रभावित किया तो इस टेबल टेनिस खिलाड़ी को भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) द्वारा प्रदान किए गए रोबोट के रूप में अभ्यास के लिए एक आदर्श भागीदार मिला।
भाविना ने कहा कि तोक्यो खेलों के उनके अभियान में इस रोबोट की भूमिका काफी अहम रही जिससे वह ऐतिहासिक रजत पदक जीतने में सफल रही।
भाविना इन खेलों की टेबल टेनिस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी है। वह अपनी स्पर्धा के फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की यिंग झोउ से हार गयी थी।
भाविना ने तोक्यो से लौटने के बाद पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, मुझे साइ टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना) के माध्यम से एक रोबोट मिला है जो एक उन्नत रोबोट है। इसमें कई उन्नत विशेषताएं हैं जिससे आप विभिन्न कोणों से स्ट्रोक प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे इससे अपने खेल को सुधार करने में मदद मिली। इसने मेरे खेल में बहुत सुधार किया। इसके अलावा टॉप्स ने हमें रैकेट जैसे अन्य उपकरण दिए।
इस टेबल टेनिस रोबोट (बटरफ्लाई - एमिकस प्राइम) की कीमत 2,73,500 रुपये है। उन्हें इसके साथ ही एक ओटोबॉक व्हीलचेयर भी दिया गया था जिसकी कीमत 2,84,707 रुपये है।
हंगरी में निर्मित, एमिकस प्राइम सबसे अच्छा पिंग पोंग (लगातार गेंद को बाहर फेंकने वाला) रोबोट होने का दावा करता है। इसमें अभ्यास के लिए 21 विकल्प मौजूद है जिससे प्रति मिनट 120 गेंद बाहर निकल सकती है।
भाविना ने कहा, महामारी के समय (लॉकडाउन) के दौरान, मेरे पति ने मेरे लिए घर पर ही एक टेबल की व्यवस्था की थी। उस समय मेरे कोच ने मुझे सेकेंड हैंड रोबोट दिया था जिससे मैं अभ्यास करती थी लेकिन उसके बाद मुझे फरवरी-मार्च 2020 में साइ से यह रोबोट मिला।
उन्होंने खेल में सुधार का श्रेय नये रोबोट को देते हुए कहा, रोबोट के साथ खेलने के बाद मेरे स्ट्रोक और मजबूत हो गए। मैं रोबोट से एक दिन में 5000 गेंदें खेलती था। इससे गेंद पर नियंत्रण और उसे सही जगह मारने में सफलता मिली। इससे मैं स्पिन और कट को नियंत्रित करने में बेहतर तरीके से सक्षम हुई।
भाविना ने अपने परिवार, विशेष रूप से पति निकुंज पटेल को भी इस सफलता का श्रेय दिया। निकुंज गुजरात के पूर्व जूनियर स्तर के क्रिकेटर हैं। भाविना ने 2017 में निकुंज से प्रेम विवाह किया था।
उन्होंने कहा, उन्होंने खेल के प्रति मेरे लगाव का समर्थन किया। वह मुझे यह कह कर प्रोत्साहित करते थे कि आप उपलब्धि हासिल कर सकती हैं और आपको यह करना होगा क्योंकि आपको देखकर कई खिलाड़ी आगे आएंगे, आपको उनकी प्रेरणा बनना होगा।
उन्होंने कहा कि अहमदाबार के ब्लाइंड (दृष्टिबाधित) पीपुल्स एसोसिएशन में जाने के बाद खेलों को लेकर उनका नजरिया बदल गया।
उन्होंने कहा, मेरा जन्म 6 नवंबर 1986 को हुआ था और एक साल बाद मुझे पोलियो हो गया था। लेकिन मुझे अपने घर का सबसे भाग्यशाली माना जाता था क्योंकि मेरे जन्म के बाद कई घरेलू समस्याएं हल हो गईं।
भाविना ने कहा, 2004-05 में मैंने अहमदाबाद में ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन का दौरा करना शुरू किया और वहाँ मैंने अपने कई दोस्तों को टेबल टेनिस खेलते देखा। उन्हें देखने के बाद मैंने सोचा कि मुझे खेल को शौक के तौर पर शुरू करना चाहिए। जब मैंने खेलना शुरू किया जो यह मुझे काफी अच्छा लगता था।
भाविना अब आगामी वैश्विक स्पर्धाओं में अपने पैरालंपिक प्रदर्शन को बेहतर करना चाहती हैं।उन्होंने कहा, मैं अगले राष्ट्रमंडल खेलों, पैरा एशियाई खेलों और पैरा विश्व चैंपियनशिप में अपना शत प्रतिशत देना चाहती हूं और स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं। आगे जाकर, मैं पेरिस में अपने रजत को स्वर्ण में बदलना चाहती हूं।
(भाषा)