टीसीएस का अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन एक तिहाई रह गया
नई दिल्ली। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 2015 के मुकाबले इस साल केवल एक तिहाई एच-1बी कामकाजी वीजा के लिए आवेदन किया है। कंपनी अमेरिका में अपने काम के लिए वहां के ही इंजीनियरिंग तथा बी-स्कूलों से अब अधिक नियुक्तियां कर रही हैं।
यह बात ऐसे समय सामने आई है, जब भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिका में कड़े वीजा नियमों से गुजरना पड़ रहा है। भारत के आईटी निर्यात में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है।
टीसीएस के कार्यकारी उपाध्यक्ष (ईवीपी) (मानव संसाधन) अजय मुखर्जी ने कंपनी की सालाना रिपोर्ट में कहा है कि हमने पिछले 1-2 साल में स्थानीय रूप से नियुक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि की है। टीसीएस अमेरिका में शीर्ष बी-स्कूल से सैकड़ों इंजीनियर परिसर और एमबीए स्नातकों को नियुक्त कर रही है।
मुखर्जी ने कहा कि इससे हमें कामकाजी वीजा में कमी लाने में मदद मिली है। हमने 2016 और इस साल 2015 के मुकाबले केवल एक तिहाई वीजा के लिए आवेदन किया है। सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में संरक्षणवाद बढ़ने से कंपनियां वीजा पर निर्भरता कम करने के लिए अपने कारोबार माडल में बदलाव लाना शुरू किया है और स्थानीय तौर पर नियुक्तियां कर रही हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार आउटसोर्सिंग कंपनियों की आलोचक है, इससे निपटने के लिए भी कंपनियां स्थानीय तौर पर नियुक्ति कर रही हैं। (भाषा)