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Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 14 अगस्त 2023 (21:02 IST)

Retail Inflation : महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल, क्या खाएगी जनता? मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% की नई ऊंचाई पर

Retail Inflation :  महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल, क्या खाएगी जनता? मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% की नई ऊंचाई पर - Retail Inflation :  महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल, क्या खाएगी जनता? मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% की नई ऊंचाई पर
Retail Inflation : आम आदमी की थाली महंगी होती जा रही है। टमाटर और अन्य सब्जियों तथा खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 15 महीने के उच्चस्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई है। चालू वित्त वर्ष में यह पहला मौका है जब मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक दायरे से ऊपर गई है। आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत यानी 2 से 6 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
 
बीते वित्त वर्ष में ज्यादातर समय खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत की उच्च सीमा से ऊपर रही थी, लेकिन इस वर्ष मार्च से जून तक यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक दायरे में थी।
 
सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 7.44 प्रतिशत पर रही जो इससे पिछले महीने जून में 4.87 प्रतिशत पर थी।
 
पिछले साल जुलाई में यह 6.71 प्रतिशत थी। इससे पहले, अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रही थी।
 
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई महीने में 11.51 प्रतिशत रही, जो जून में 4.55 प्रतिशत तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी।
 
सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 37.44 प्रतिशत रही। मसालों में मुद्रास्फीति 21.63 प्रतिशत, दाल में 13.27 प्रतिशत और अनाज तथा उसके उत्पादों की महंगाई 13 प्रतिशत रही।
 
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में खाद्य और पेय पदार्थ खंड की हिस्सेदारी करीब 54 प्रतिशत है।
 
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति में निकट भविष्य में उल्लेखनीय वृद्धि को लेकर आगाह किया था और दूसरी तिमाही में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। इसके साथ पूरे वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया था।
 
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जुलाई में सीपीआई मुद्रास्फीति का आंकड़ा देखते हुए ऐसा लगता है कि यह चालू वित्त वर्ष में दूसरी तिमाही के लिये आरबीआई के संशोधित अनुमान 6.2 प्रतिशत को पार कर जाएगी। इसका कारण अगली फसल से पहले सब्जियों की कीमत में नरमी की उम्मीद नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि इसके अलावा अब तक बारिश का वितरण सामान्य नहीं रहा है। इससे खाद्य वस्तुओं के दाम पर असर पड़ेगा।
 
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 7.63 प्रतिशत जबकि शहरी क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत रही। इससे कुल मिलाकर खुदरा महंगाई दर 7.44 प्रतिशत रही।
 
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय चयनित 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से आंकड़े एकत्रित करता है। इसमें सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।
 
इस बीच खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम में तेजी के बावजूद थोक मुद्रास्फीति में जुलाई में लगातार चौथे माह में गिरावट आई और यह शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही। हालांकि, गिरावट की दर मासिक आधार पर कम हुई है।
 
सब्जियों की कीमतों में 62.12 प्रतिशत की वृद्धि के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में जून में 4.12 प्रतिशत की गिरावट आई थी। पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी। Edited By : Sudhir Sharma
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