छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा का बहुत महत्व होता है, सूर्य को इस दिन शाम को और दूसरे दिन सुबह अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने का ज्योतिष शास्त्र के अलावा लाल किताब में भी महत्व है। आओ जानते हैं कि इस दिन ज्योतिष के कौन से 5 उपाय कर सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य क्यों देते हैं : जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है कहते हैं कि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है और वे निराशावादी हो जाते हैं। माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाते समय इन किरणों के प्रभाव से रंग संतुलित हो जाते हैं और साथ ही साथ शरीर में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्यदेव को आत्मा का कारक माना गया है। प्रात:काल सूर्य देव के दर्शन से शरीर में स्फूर्ति आती है और यदि शरीर अच्छा महसूस करेगा तो मन भी सकारात्मक होकर निराशावाद को भगाकर आत्मविश्वास बढ़ाता है। जल की धारा में से उगते सूरज को देखना चाहिए इससे धातु और सूर्य कि किरणों का असर आपकी दृष्टि के साथ-साथ आपके मन पर भी पडेगा और आपको सकारात्मक उर्जा का आभास होता रहेगा।
लाभ : अर्घ्य देने से घर-परिवार में मान-सम्मान बढ़ता है। ऐसा भी माना जाता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। और अपने भक्त के जीवन को अंधकार से निकालकर प्रकाश (ज्ञान) की ओर लेकर जाते हैं। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से व्यक्ति कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। ज्योतिषविद्या के मुताबिक हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति की कुंडली में यदि शनि की बुरी दृष्टि हो तो उसका प्रभाव भी कम होता है। इससे करियर में भी लाभ मिलता है। छठ पर्व को विधिवत मनाने से मिट जाता है सभी तरह का सूर्य दोष।
कुंडली में सूर्य ग्रहण हो तो करें ये 5 उपाय :
1.छह नारियल अपने सिर पर से वार कर जल में प्रवाहित करें।
2.आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें
3.सूर्य को जल चढ़ाएं अर्थात अर्घ्य दें।
4.एकादशी और रविवार का व्रत रखें।
5.गेहूं, गुड़ व तांबे का दान दें।
सूर्य कमजोर हो तो करें ये 5 उपाय
1. भगवान विष्णु की उपासना। रविवार का व्रत रखना।
2. सूर्य को अर्घ्य दें।
3. मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें।
4. पिता का सम्मान करें उन्हें हर तरह से प्रसन्न रखें।
5. घर का वास्तुदोष ठीक करें।
ज्योतिष अनुसार सूर्य का परिचय : देवता : विष्णु, गोत्र : कश्यप, दिशा : पूर्व, सारथी : अरुण, वार : रविवार, भाव: पांचवां, स्वभाव : उग्र, धातु : सोना और तांबा, रत्न : माणिक्य, वृक्ष : तेजफल का वृक्ष, विशेषता : बहादुर राजा, शक्ति : आग का भंडार, वर्ण-जाति : लाल, क्षत्रिय, वाहन : सात घोड़ों वाला स्वर्ण रथ, गुण : आग, गुस्सा, विवेक,विद्या, अंग : दिमाग समेत शरीर का दायाँ भाग, पशु : बंदर, पहाड़ी गाय, कपिला गाय, राशि भ्रमण : प्रत्येक राशि में 30 दिन, नक्षत्र : कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, बल : सूर्य के साथ यदि शनि हो तो और शक्तिशाली, राशि : सिंह राशि के स्वामी सूर्य के चंद्र, गुरु और मंगल मित्र हैं। शुक्र, राहु और शनि इसके शस्त्रु है। बुध और केतु मध्यम। मेष में उच्च और तुला में नीच के माने गए हैं। सूर्य का बलवान होता सभी तरह के अनिष्टों को नष्ट कर देता है। अन्य नाम : रवि, दिनकर, दिवाकर, भानु, भास्कर, प्रभाकर, सविता, दिनमणि, आदित्य, अनंत, मार्तंड, अर्क, पतंग और विवस्वान।
मकान : जिनका मकान पूर्व है। पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर। बड़ा सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता। मकान का द्वार पूर्व की ओर होगा। मकान के मध्य में आंगन एवं आंगन में रसोई होगी। पानी रखने का स्थान दांये हाथ की ओर आंगन में होगा। जिनका मकान पूर्व में है। पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर। बड़ा-सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता। हो सकता है कि तेज फल का वृक्ष लगा हो।
लाल किताब के अनुसार मसनुई ग्रह : कुंडली में शुक्र और बुद्ध एक ही जगह है तो वे सूर्य है। सूर्य गुरु के साथ है तो चंद्र है। सूर्य बुध के साथ है तो मंगल नेक है। सूर्य शनि के साथ है तो मंगल बद राहु होगा। ग्रहों में चन्द्र (ठंडक-सर्दी), मंगल (लाली) और बुध (खाली घेरा) सूर्य के आवश्यक अंग है। इन ग्रहों का सूर्य के साथ होना शुभ है। पहले घर को जगाने के लिए मंगल का उपाय और पांचवें के लिए सूर्य का उपाय करना चाहिए। सूर्य के साथ राहु-केतु आ जाने पर ग्रहण माना जाएगा। उपरोक्त के उपाय करें।