राहु को हाथी की उपाधि दी गई है। कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार राहु के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहाँ प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में राहु की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी।
विशेषता : हाथी।
(1). पहला खाना : दौलतमंद तो होगा पर खर्चा बहुत होगा। यहाँ व्यक्ति की बुद्धि ही उसका साथ देगी बशर्ते वह अति कल्पनावादी न हो। 1 से 6 तक जैसी बुध की हालत वैसी राहु की मानी जाएगी। 7 से 12 तक जैसी केतु की हालत वैसी राहु होगी।
सावधानी : राहु ग्रह से अशुभ हो रहा है तो सोच-समझकर बुद्धि से काम लें और व्यर्थ के बोलते रहने से बचें। ससुराल पक्ष से संबंध अच्छे रखें।
(2). दूसरा खाना : महावत का हाथी। गुरु के हुक्म पर चलने वाला। अर्थात जैसा बृहस्पति होगा वैसा राहु का फल होगा। जीवन में परिवर्तनों का दौर चलता रहेगा, लेकिन सेहतमंद होगा।
सावधानी : गुरु की हालत अच्छी करें। नाखून मजबूत तो राहु शुभ माना जाएगा फिर भी उपाय जरूर करें।
(3). तीसरा खाना : पूर्वाभास की शक्ति का मालिक। बंदूक लिए पहरेदार। सतर्क रहने वाला। ग्रहण है तो दौलत की बर्बादी। पराक्रम निष्फल।
सावधानी : किसी को उधार न दें। धोखे और फरेब से बचें। अतिरिक्त हौसले का प्रदर्शन न करें। यदि सूर्य या बुध भी साथ है तो बहन से दूर रहें। ग्रहण का उपाय करें। बेकार के तंत्र-मंत्र या रहस्यमय बातों से दूर रहें।
(4). चौथा खाना : धर्मात्मा होगा और अच्छे कामों में खूब खर्च करेगा। फिर भी दौलत की चिंता लगी रहेगी।
सावधानी : घर में पखाना बनवाना, जमीन के अंदर पानी की टंकी बनवाना, घर की छत में काम करवाना, बोरियाँ इकट्ठी करना और माता का अपमान करने के कार्यों से बचें।
(5). पाँचवाँ खाना : यहाँ राहु को औलाद गर्क करने वाला कहा गया है, लेकिन पारिवारिक खुशी और दौलत होगी।
सावधानी : क्रोध का त्याग करें। शुक्र की चीजें घर में स्थापित करें। किचन में ही भोजन करें। शरीर के समस्त अंगों, वस्त्रों और घर को साफ-सुथरा रखें।
(6). छठा खाना : मददगार हाथी। राहु शुभ है तो मुसीबत के समय साथ देगा।
सावधानी : घर या बाहर कहीं भी यदि चोरी की तो राहु अपना शुभ असर छोड़ देगा। भाइयों से अच्छे संबंध रखें। धर्म-कर्म के कामों में रुचि रखें।
(7). सातवाँ खाना : दौलत तो होगी लेकिन गृहस्थी सुख की ग्यारंटी नहीं। इसका उपाय करें।
सावधानी : कुत्ता कतई न पालें। बदनाम करने वाले कार्यों से बचें। पराई स्त्री से संबंध रखने का खयाल भी न रखें।
(8). आठवाँ खाना : कड़वा धुआँ अर्थात व्यक्ति की बुद्धि पर ताला लगा मानो। वफादार है तो अच्छे परिवार से संबंधों का लाभ मिलेगा।
सावधानी : बुरी करतूतों से बचें। घर की छत बदलने या सुधारने का कार्य कतई न करें। दक्षिण मुखी मकान में न रहें। घर के आसपास भट्टी जलती हो तो वहाँ भी न रहें। यहाँ बैठे राहु का उपाय करें।
(9). नौवाँ खाना : इसे पागलों का हकीम कहा जाता है। फकीर या साधु से संगत और पागलों की फिकर रखें तो उन पर फिजूल खर्च होगा।
सावधानी : अपने से बड़े लोगों से विवाद न करें। घर में भट्टी न लगाएँ। दहलीज के नीचे से गंदे पानी की निकासी न करें। संयुक्त परिवार में ही रहें। ससुराल पक्ष से संबंध न बिगाड़ें। ईमानदार बने रहें।
(10). दसवाँ खाना : साँप के फन पर रखी मणि। दौलतमंद और जुझारू।
सावधानी : तंगदिली या कंजूसी न रखें। माता का ध्यान रखें। मंगल और चंद्र का उपाय करें।
(11). ग्यारहवाँ खाना : धनवान घर में जन्म लेने वाला। ऐसे व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ दौलत घटती जाती है। पिता विद्रोही। फिजूल खर्ची।
सावधानी : चाल-चलन ठीक रखें। बृहस्पति को शुभ बनाएँ। शनि के मंदे कार्य न करें। पिता से संबंध अच्छे रखें। फिजूलखर्जी पर लगाम लगाएँ।
(12). बारहवाँ खाना : 'गप्पबाज या शेखचिल्ली'। जैसा बुध का असर वैसा ही राहु का असर। मंगल यदि साथ बन रहा है तो शुभ होगा। ससुराल की हालत अच्छी होगी।
सावधानी : फिजूल खर्ची से बचें। किसी से भी झगड़ा न करें। चोरी या गबन का न सोचें। ईर्ष्या न रखें। रसोई में बैठकर ही भोजन करें। झूठ न बोलें। बुरी संगत से बचें।