कहते हैं कि राहु और केतु के कारण ही कालसर्प दोष लगता है और उसी के कारण जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कहते हैं कि जब कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो उसे पूर्ण कालसर्प योग कहते हैं। बहुत से लोग इसके निदान के लिए त्रयंबकेश्वर जाते हैं। कुछ ज्योतिष कालसर्प दोष को मानते हैं और कुछ नहीं।
लाल किताब के अनुसार राहु और केतु से बनने वाले 12 तरह के विशेष योग होते हैं। यह योग सभी की कुंडली में 12 प्रकार का होता है। इसका कारण यह कि यह योग पिछले जन्म के कार्यों को दर्शाता है। जिस किसी को भी किसी भी तरह का कालसर्प योग है तो उसका प्रभाव स्वत: ही 45 वर्ष की उम्र में समाप्त हो जाता है। उससे पूर्व जानें इसके निदान के उपाय:-
कुंडली अनुसार उपाया-
खाना नम्बर एक- प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु हो तो चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें।
खाना नम्बर दो- द्वितीय भाव में राहु और अष्टम में केतु हो तो दो रंग या ज्यादा रंगों वाला कम्बल दान करें।
खाना नम्बर तीन- तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो सोना धारण करें। बाएं हाथ की कनिष्ठा में सोने का छल्ला पहनें या चने की दाल बहते पानी में बहाएं।
खाना नम्बर चार- चतुर्थ भाव में राहु और दशम भाव में केतु हो तो चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाएं।
खाना नम्बर पांच- पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु हो तो घर में चांदी का ठोस हाथी रखें।
खाना नम्बर छ- षष्ठ भाव में राहु और द्वादश भाव में केतु हो तो बहन की सेवा करें, ताजे फूल को अपने पास रखें। कुत्ता पालें।
खाना नम्बर सात- सप्तम भाव में राहु और प्रथम भाव में केतु हो तो लोहे की गोली को लाल रंग से अपने पास रखना। चांदी की डिब्बी में बहते पानी का जल भरकर उसमें चांदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर तथा डिब्बी को बंद करके घर में रखने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखते रहें कि डिब्बी का जल सूखे नहीं।
खाना नम्बर आठ- अष्टम भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो तो आठ सौ ग्राम सिक्के के आठ टुकड़े करके एक साथ बहते पानी में प्रवाहित करना अच्छा होगा।
खाना नम्बर नौ- नवम भाव में राहु और तृतीय भाव में केतु हो तो चने की दाल पानी में प्रवाहित करें। चांदी की ईंट बनवाकर घर में रखें।
खाना नम्बर दस- दशम भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो तो पीतल के बर्तन में बहती नदी या नहर का पानी भरकर घर में रखना चाहिए। उस पर चांदी का ढक्कन हो तो अति उत्तम।
खाना नम्बर ग्यारह- एकादश भाव में राहु और पंचम भाव में केतु होने पर 400 ग्राम सिक्के के 10 टुकड़े करा कर एक साथ बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा 43 दिनों तक गाजर या मूली लेकर सोते समय सिरहाने रखकर सुबह मंदिर आदि पर दान कर दें।
खाना नम्बर बारह- द्वादश भाव में राहु और षष्ठ भाव में केतु हो तो लाल रंग की बोरी के आकार की थैली बनाकर उसमें सौंफ या खांड भर कर सोने वाले कमरे में रखना चाहिए। कपड़ा चमकीला न हो। केतु के लिए सोने के जेवर पहनना उत्तम होगा।
राहू के लिए सामान्य उपाय:-
संयुक्त परिवार में रहें, ससुराल से सम्बन्ध न बिगाड़े, जौ को दूध से धोकर बहते पानी में बहाए, मुली का दान करे या कोयला बहते पानी में बहाए, सरसों का दान करें। राहु उच्च का हो तो राहु की चीजें न दें और राहु नीच का हो तो राहु की चीजों का दान न लें। शौचालय और सीढ़ियों को अच्छे से साफ सुथरा बना कर रखें। मदिरा और तंबाकु के सेवन से राहु की महादशा, दशा या अंतरदशा में विपरित प्रभाव पड़ता है। सबसे उत्तम उपाय यह है कि 101 दिनों तक मंदिर या गुरुद्वारे में झाड़ू लगाएं।
केतु के लिए सामान्य उपाय:-
कान छिदवाएं और कुत्तों को प्रतिदिन रोटी खिलाते रहें। काले और सफेद तिल बहते पानी में बहाए। तिल, निम्बू और केले का दान करें। लोबान की धूप दें। केतु उच्च का हो केतु की चीजों का दान न दें और केतु नीच का हो तो केतु की चीजों का दान न लें। काला-सफेद कम्बल किसी धर्म स्थान दान करें।
सावधानी : उपरोक्त बताए गए उपायों को लाल किताब के किसी योग्य ज्योतिष से सलाह लेकर ही अमल में लाएं, क्योंकि कुंडली के अन्य ग्रहों का विश्लेषण भी करना होता है।