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Written By संदीपसिंह सिसोदिया

चीन दे रहा है प्रकृति को चुनौती

China's battle against desert | चीन दे रहा है प्रकृति को चुनौती
चीन को वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूँ ही नहीं कहा जा रहा है। सदियों से जिस भूमि को रेगिस्तान ने निगल लिया था, उसे पुनः प्राप्त करने की लिए चीन ने एक महायोजना पर काम शुरू कर दिया है। एक विशाल अभियान 'गो ग्रीन' के तहत चीन अपने देश की बंजर और रेगिस्तानी भूमि को हरा-भरा करने जुट गया है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि रेगिस्तान के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए अभी भी सैकड़ों वर्षों तक सतत प्रयासों की जरूरत पड़ेगी।

दरअसल चीन के कुल क्षेत्रफल की लगभग 27.3 प्रतिशत यानी 26 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि बंजर तथा रेगिस्तान की श्रेणी में आती है, जो किसी भी देश के लिए एक बड़ी चिंता का सबब है। इसके अलावा लगभग 3 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि आंशिक तौर पर बंजर मानी जाती है। इस हिसाब से चीन दुनिया का एक ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा बंजर और रेगिस्तानी भूमि है।

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राष्ट्रीय राज्य वन व्यवस्थापन ब्यूरो के निदेशक ल्यू त्यो कहते हैं कि '530.000 वर्ग किलोमीटर के बंजर रेगिस्तानी क्षेत्र को हरा-भरा और उपजाऊ बनाने की इस महत्वाकांक्षी योजना का वर्तमान लक्ष्य है 1717 वर्ग किलोमीटर भूमि को प्रति वर्ष उपजाऊ और हरित भूमि में परिवर्तित करना।' इस हिसाब से इतनी भूमि को हरा-भरा बनाने के लिए 300 वर्ष भी लग सकते हैं।

एक नजर - ‘सहारा’ रेगिस्तान भी था हरा-भरा!

इसी विभाग के उप प्रमुख झ्यु लाइके बताते है कि 'पिछले पाँच वर्षों में चीन में लगभग 12454 वर्ग किलोमीटर भूमि को रेगिस्तान के आगोश में जाने से बचाया गया है।

उत्तर-पश्चिम सिचुआन प्रांत का उदाहरण देते हुए झ्यु का कहना है कि अत्यधिक कटाई, पानी के कुप्रबन्धन और कम वर्षा अनुपात की वजह से भी रेगिस्तान धीरे-धीरे और ज्यादा क्षेत्रों में फैल रहा है। ल्यु कहते है कि ग्लोबल वॉर्मिंग, असमान और तीव्र मौसमी परिवर्तनों से वनस्पति को अपूरणीय क्षति हो रही है, जिसकी वजह से सूखे क्षेत्रों में पुनर्वनस्पतिकरण में काफी दिक्कतें आ रही हैं। साथ ही साथ तेजी से बढ़ती जनसंख्या और फैलती अर्थव्यवस्था भी इस सूखती जमीन की बड़ी वजह हैं।

पर इस सारी समस्याओं के बाद भी सतत प्रयासों और सही प्रबन्धन के साथ किए जा रहे कामों का बड़ा असर दिखने लगा है। इको रिहेबिलिटेशन जोन, जिसमें सालों से बंजर पड़े 'म्यु उस' रेगिस्तान तथा भीतरी मंगोलिया के स्वायता प्राप्त क्षेत्र होर्क्युन के घास के मैदानों के पारिस्थितितंत्र में काफी सुखद परिणाम देखने को मिले हैं।'

दरअसल इस काम के लिए रेगिस्तान के किनारों पर वृक्षारोपण किया जाता है और उसे 3 सालों तक नहरों के जाल से सींच कर सहेजा जाता है। एक बार पौधों के जड़ पकड़ लेने के बाद इस प्रकिया को आगे बढ़ाया जाता है, जिससे धीरे-धीरे रेगिस्तान से भूमि को वापस लिया जाता है।

चीन ने 2020 तक वन क्षेत्रफल में 400 मिलियन हेक्टेयर के विस्तार का लक्ष्य रखा है। स्टेट काउंसिल ने दिसंबर 2010 में जारी रिपोर्ट में बताया कि चीन की सरकार प्राकृतिक जंगलों को बचाने के लिए अगले एक दशक में लगभग 220 बिलियन युआन (33 बिलियन डॉलर) खर्च करेगी।

चित्र सौजन्य - State Forestry Administration,China