Last Modified: लंदन ,
बुधवार, 13 अप्रैल 2011 (15:07 IST)
कैदियों को राहत दिलाता है 'स्वादिष्ट भोजन'
स्वादिष्ट भोजन तो आपके मिजाज को खुश रखता ही लेकिन, इससे अदालती फैसले भी प्रभावित हो सकते हैं। हाल में हुए एक शोध पर अगर यकीन करें तो भोजन के बाद जजों का फैसला भी आमतौर पर कैदियों के पक्ष में आ सकता है।
न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक शोध के मुताबिक कैदियों के मामले की सुनवाई कर रहे जज अगर फैसला करने से पहले खाना खाते हैं, तो 65 फीसद मामलों में यह संभावना रहती है कि फैसला कैदी के पक्ष में आएगा।
शोधकर्ताओं का यह भी दावा है कि खाना खाने के बाद जैसे-जैसे अंतराल बढ़ता जाता है, जजों के कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की संभावना भी कम होती जाती है।
इस तरह की एक रिपोर्ट ‘द टेलीग्राफ’ अखबार में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ता कहते हैं कि भोजन की गुणवत्ता के हिसाब से जजों का फैसला मेल खाता है।
प्रो. जोनाथन लेवाव की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने 1,000 से अधिक निर्णय का अध्ययन किया, जिसमें कैदियों की जमानत याचिका से संबंधित मामलों को चुना गया। (भाषा)