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Yoga Day Poem : विश्व योग दिवस पर हिन्दी कविता

Yoga Day Poem : विश्व योग दिवस पर हिन्दी कविता - Yoga Day Poem in Hindi
Yoga Diwas Poem

- रुद्रपकाश गुप्त 'सरस'
 
भाई अपने तन से, मन से, दूर कुरोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
 
स्वास्थ्य हमारा अच्छा है तो, सारा कुछ है अच्छा।
रोग ग्रसित अब नहीं एक भी, हो भारत का बच्चा।।
 
सूर्योदय से पहले उठकर, निपटे नित्य क्रिया।
सदा निरोगी काया जिसकी, जीवन वही जिया।।
 
उदाहरण कोई बन जाए, वह उद्योग करें।।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
 
सांसों का भरना-निकालना, प्राणायाम हुआ।
अपने दिल-दिमाग का भाई, यह व्यायाम हुआ।।
 
किया भ्रामरी और भस्त्रिका, शुचि अनुलोम-विलोम।
सुन्दर है कपाल की भाती, पुलक उठे हर रोम।। 
 
सांस-सांस द्वारा ईश्वर से, हम संयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
 
सभी शक्तियों का यह तन है, सुन्दर एक खजाना।
यौगिक क्रिया-कलापों द्वारा, सक्रिय इन्हें बनाना।।
 
फल-मेवा-पकवान दूध-घी, सब कुछ मिला प्रकृति से।
हमने निज खाना-पीना ही, किया विकृत दुर्मति से।।
 
ज्ञान और अपने विवेक से, हम सब भोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
 
पानी और हवा दूषित हो, कुछ न करें ऐसा हम।
चले संभलकर थोड़ा तो यह, दुनिया बड़ी मनोरम।।
 
सुख से जिएं और सुख से ही, हम जीने दें सबको।
वेद-पुराण-शास्त्र सारे ही, यह बतलाते हमको।।
 
ईश प्रदत्त शक्ति-साधन का, हम उपयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
साभार- देवपुत्र 
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