चटपटी बाल कविता : जीवन सुलेख...
- लक्ष्मीनारायण भाला 'लच्छू भैया'
समतल से समकोण बनाती,
रेखा हो सीधी खड़ी।
मात्राएं उससे आधी हो,
ऊपर-नीचे, गोल-झुकी।।1।।
मध्य भाग से अंग जुड़े हो,
सदा-सर्वदा ही छोटे।
सुगठित हो आकार सभी के,
पर नहीं रेखा से मोटे।।2।।।
शीर्ष भाग पर स्नेह-सूत्र से,
अक्षर जोड़े, शब्द रचे।
दो शब्दों की दूरी नापे,
रेखा की ऊंचाई से।।3।।
सीधी रेखा के समान जो,
स्वाभिमान से हुए खड़े।
स्नेह-सूत्र से बंधते जाते,
सार्थक जीवन वे जीते।।4।।
साभार - देवपुत्र