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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Modified: शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023 (15:47 IST)

6 बड़ी बातें, जो कर्नाटक में बढ़ाएंगी भाजपा की मुश्किल

6 बड़ी बातें, जो कर्नाटक में बढ़ाएंगी भाजपा की मुश्किल - challenges for bjp in Karnataka elections
Karnataka election news : कर्नाटक विधानसभा के लिए वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, नेताओं के बोल भी बिगड़ते जा रहे हैं। 'जहरीले सांप' से लेकर 'विषकन्या' जैसे शब्दों की चुनाव में एंट्री हो गई है। इस बदजुबानी का किसको फायदा-नुकसान होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन पिछली बार जोड़-तोड़ कर सत्ता हासिल करने वाली भाजपा की राह इस बार आसान नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस की स्थिति राज्य में मजबूत बताई जा रही है, लेकिन जद एस 'किंगमेकर' की स्थिति में आ सकती है। आइए जानते हैं, 6 बड़ी बातें, जो इस बार भाजपा के लिए मुश्किल का कारण बन सकती हैं।
 
1. एंटी-इनकंबेंसी : राज्य में भाजपा को सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। मतदाता सरकार की नीतियों-रीतियों से नाराज दिखाई दे रहा है। 2018 में जिस तरह से भाजपा ने 'पिछले दरवाजे' से जोड़-तोड़कर सत्ता हासिल की थी, उससे भी स्थानीय लोगों में असंतोष है। 
 
2. गुजरात मॉडल फेल : जिस तरह भाजपा हाईकमान ने गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले मुख्‍यमंत्री से लेकर मंत्री विधायकों के टिकट काटकर सफलता अर्जित की थी, उस तरह का फायदा कर्नाटक में मिलता नहीं दिख रहा है। कर्नाटक में पुराने नेताओं के टिकट काटने से पार्टी में असंतोष है। पूर्व मुख्‍यमंत्री जगदीश शेट्‍टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी के पार्टी ने टिकट काटे, वे बागी होकर कांग्रेस में मिल गए। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। 
 
3. कास्ट फैक्टर : कर्नाटक में यूं तो कास्ट फैक्टर बड़ी भूमिका निभाता है, लेकिन जिस तरह भाजपा ने सबसे बड़े लिंगायत समुदाय से आने वाले शेट्‍टार और सावदी का टिकट काटा है, उससे भाजपा से लिंगायत वोट छिटक भी सकते हैं। ये दोनों ही नेता जीतने वाले उम्मीदवार हैं। साथ ही अपने आसपास की कई सीटों को भी वे प्रभावित करेंगे। दूसरी ओर, कांग्रेस ने दलित तबके से आने वाले मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है जिसका फायदा उसे मिल सकता है। मुस्लिम आरक्षण खत्म करने का दांव भी भाजपा को उल्टा पड़ सकता है।
 
4. भ्रष्टाचार : इस चुनाव में भ्रष्टाचार भी एक बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस 40 प्रतिशत कमीशन के मुद्दे को खूब उछाल रही है हालांकि भाजपा इससे स्पष्ट इंकार कर रही है। हालांकि कर्नाटक के कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन ने एक बार फिर 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाते हुए राज्य की भाजपा सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
 
5. गरीबों की राशन योजना में कटौती : राज्य की भाजपा सरकार द्वारा 'अन्न भाग्य योजना' के तहत गरीबों को दिए जाने वाले चावल की मात्रा घटाने का नुकसान भी भाजपा हो सकता है। कांग्रेस द्वारा राशनकार्डधारी को 7 किलो चावल दिए जाते हैं, वहीं भाजपा ने इसे घटाकर 5 किलो कर दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने सरकार बनने की स्थिति में 10 किलो चावल देने की घोषणा की है। इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। 
 
6. ट्रैफिक जाम की समस्या : बेंगलुरु कर्नाटक की राजधानी तो है ही, वह आर्थिक राजधानी भी है। शहर से राज्य के राजस्व का 60 फीसदी से अधिक आता है। यह शहर 13 हजार से अधिक स्टार्टअप का घर है। भारत के 100 यूनिकॉर्न्स में से लगभग 40% यहां ही हैं। यहां लोगों को ट्रैफिक से जूझना पड़ता है। बारिश के दौरान यहां आई बाढ़ ने यातायात को बदहाल कर दिया था। शहर में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है। स्वयं बोम्मई ने कहा था कि 2027 तक शहर में वाहनों की संख्या यहां की जनसंख्या से ज्यादा हो जाएगी। इसका असर बेंगलुरु एवं आसपास की सीटों पर हो सकता है।