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Last Modified: गुरुवार, 14 अप्रैल 2022 (15:28 IST)

हनुमानजी को किसने दिया था चिरंजीवी रहने का वरदान?

हनुमानजी को किसने दिया था चिरंजीवी रहने का वरदान? - Ajar amar hanuman
Hanumanji Jayanti Janmotsav: हनुमानजी को चिरंजीवी माना जाता है यानी की अजर अमर। वे आज भी सशरीर मौजूद हैं। आखिर उन्हें कलियुग के अंत तक या कि एक कल्प तक शरीर में ही रहकर धरती पर रहने का वरदान किसने दिया था। आओ जानते हैं।
 
 
वाल्मीकि रामायण के अनुसार लंका पर विजय प्राप्त करके जब प्रभु श्री राम अयोध्या लौट रहे थे। तब उन्होंने उन लोगों को उपहार दिए जिन्होंने रावण के साथ युद्ध में उनका साथ दिया था। इसमें विभीषण, अंगद और सुग्रीव शामिल थे। तभी हनुमान जी भगवान श्रीराम से याचना करते हैं कि 
 
‘यावद् रामकथा वीर चरिष्यति महीतले। तावच्छरीरे वत्स्युन्तु प्राणामम न संशय:।।
अर्थात : ‘हे वीर श्रीराम! इस पृथ्वी पर जब तक रामकथा प्रचलित रहे, तब तक निस्संदेह मेरे प्राण इस शरीर में बसे रहें।’
 
यह सुनकर श्रीराम ने आशीर्वाद देते हुए कहा- 
‘एवमेतत् कपिश्रेष्ठ भविता नात्र संशय:। चरिष्यति कथा यावदेषा लोके च मामिका तावत् ते भविता कीर्ति: शरीरे प्यवस्तथा। लोकाहि यावत्स्थास्यन्ति तावत् स्थास्यन्ति में कथा।।
 
‘अर्थात् : ‘हे कपि श्रेष्ठ, ऐसा ही होगा, इसमें संदेह नहीं है। इस संसार में जब तक मेरी कथा प्रचलित रहेगी, तब तक तुम्हारी कीर्ति अमिट रहेगी और तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे ही। जब तक ये लोक बने रहेंगे, तब तक मेरी कथाएं भी स्थिर रहेंगी।
 
यह भी कहा जाता है कि माता सीता को जब हनुमानजी ने अंगुठी दी थी तब माता सीता ने हनुमानजी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। भगवान इंद्र ने उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान दिया था। 
 
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