हनुमानजी के जन्म स्थान पर विवाद, कहां हुआ था जन्म आंध्र प्रदेश या कर्नाटक?
रामदूत हनुमानजी के जन्म स्थान को लेकर मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार गुजरात के डांग जिला में नवसारी की एक गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था तो कुछ के अनुसार हरियाणा के कैथल में हुआ था। कुछ मानते हैं कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव की एक गुफा में उनका जन्म हुआ था जबकि कुछ के अनुसार महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर से 7 किलोमीटर दूर अंजनेरी में उनका जन्म हुआ था।
हनुमानजी का जन्म गोकर्ण तीर्थ में या हुआ अंजनाद्रि पहाड़ी पर?
आंध्रप्रदेश का दावा : आंध्रप्रदेश की तिरुपति तिरुमला देवस्थानम बोर्ड ने घोषणा की है कि हनुमानजी का जन्म आकाशगंगा जलप्रपात के नजदीक जपाली तीर्थम में हुआ था। देवस्थानम के द्वारा राष्ट्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुरलीधर शर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई पंडित परिषद ने हनुमान जन्म स्थान के संबंध में एक शोधपत्र तैयार करके रिपोर्ट बनाई थी। जिसमें अनेक पौराणिक, भौगोलिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक तथ्यों एवं सबुतों का हवाला देकर अंजनाद्रि पहाड़ी को हनुमान जन्म स्थान सिद्ध किया गया। यह पहाड़ी तिरुमाला की 7 पहाड़ियों में से एक है।
पंडित परिषद के अनुसार वाल्मीकि रामायण के सुंदरकाण्ड के 35वें सर्ग के 81 से 83 श्लोक तक यह स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि माता अंजनी ने तिरुमाला की इस पवित्र पहाड़ी पर हनुमानजी को जन्म दिया था। इसके अलावा महाभारत के वनपर्व के 147वें अध्याय में, वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के 66वें सर्ग, स्कंद पुराण के खंड 1 श्लोक 38 में, शिव पुराण शत पुराण के 20वें अध्याय और ब्रह्मांड पुराण श्रीवेंकटाचल महामात्य तीर्थ काण्ड में भी इसका उल्लेख मिलता है। कम्ब रामायण और अन्नमाचार्य संकीर्तन भी इसी स्थान का संकेत करते हैं।
कर्नाटक का दावा : हालांकि आंध्र के तिरुमाला देवस्थान के दावे को कर्नाटक के शिवमोगा स्थित रामचंद्रपुर मठ ने खारिज करके कहा कि हनुमानजी का जन्म कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के तीर्थस्थल गोकर्ण में हुआ था। मैंगलोर के पास स्थित गोकर्ण पहले से ही एक तीर्थस्थल रहा है। इस जगह पर काफी प्राचीन मंदिर हैं।
दूसरा दावा यह है कि कर्नाटक ने हमेशा ये माना कि हनुमान का जन्म हकोप्पल जिले के पास किष्किंधा में अंजनाद्रि पहाड़ पर हुआ था। कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा मानते हैं। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है जिसके निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था। हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था।
रामचंद्रपुर मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती अपनी बात के प्रमाण के तौर पर रामायण का ही हवाला देते हैं। उनके मुताबिक रामायण में भगवान हनुमान ने सीता से कहा था कि उनका जन्म स्थान समुद्र के पार गोकर्ण में है। राघवेश्वर भारती ने कहा, 'रामायण में जो प्रमाण मिले हैं उसके मुताबिक हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किंधा में अंजनाद्रि उनकी कर्मभूमि थी।
उल्लेखनीय है कि दोनों ही क्षेत्रों को हनुमान जन्म स्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है। दोनों ही स्थान पर जो पहाडी है उसे अंजनाद्रि कहते हैं। लेकिन पंडित परिषद के दावे को सबसे ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।