नन ने यौन उत्पीड़न का किया खुलासा, वेटिकन का टिप्पणी करने से इंकार
वेटिकन सिटी। एक प्रमुख अमेरिकी कार्डिनल द्वारा अपने वयस्क शिष्यों का यौन उत्पीड़न और प्रताड़ित करने को लेकर खुलासे से अधिकारों का गंभीर दुरुपयोग उजागर हुआ है जिसने दुनियाभर के कैथोलिक समुदाय को स्तब्ध कर दिया है। वेटिकन काफी लंबे समय से पादरी एवं बिशप के हाथों ननों के यौन उत्पीड़न से अवगत है लेकिन उसने इसे रोकने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए। यह बात एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के विश्लेषण में सामने आई है।
एपी की जांच में यह बात सामने आई है कि नन के उत्पीड़न के मामले यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में सामने आए हैं। इससे पता चलता है कि यह समस्या वैश्विक और व्यापक है। कुछ ननों ने अपनी आवाज 'मी टू' अभियान के जरिए उठाई हैं। नन गिरजाघर से संबंधित लोगों की वर्षों की निष्क्रियता की निंदा सार्वजनिक रूप से कर रही हैं। गिरजाघर से संबंधित इन लोगों ने तब भी कोई कदम नहीं उठाया, जब 1960 के दशक के दौरान अफ्रीका में इस समस्या को लेकर प्रमुख अध्ययनों के बारे में वेटिकन को अवगत कराया गया।
एक नन ने एपी से कहा कि इसने मेरे भीतर के जख्मों को हरा कर दिया। मैंने ऐसा दिखाया कि ऐसा नहीं हुआ। नन ने लगभग 2 दशक की अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एपी को 2000 में उस पल के बारे में बताया, जब उस पादरी ने उसका यौन उत्पीड़न किया जिसके समक्ष उसने अपनी गलती का कन्फेशन (स्वीकारोक्ति) किया। उस यौन उत्पीड़न और उसके 1 वर्ष बाद एक अन्य पादरी द्वारा ऐसे ही प्रयास के बाद उसने कन्फेशन में जाना बंद कर दिया।
इस सप्ताह चिली में एक छोटे धार्मिक समागम में करीब 6 सिस्टर्स ने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल पर पादरी एवं अन्य नन द्वारा अपने उत्पीड़न की दास्तान बयां की। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके वरिष्ठों ने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। भारत में हाल ही में एक नन ने पुलिस में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई और एक बिशप पर बलात्कार का आरोप लगाया। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में 1 वर्ष पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था।
अफ्रीका में भी ऐसे मामले समय-समय पर आते रहे हैं। उदाहरण के लिए 2013 में युगांडा में एक जाने-माने पादरी ने अपने वरिष्ठों को एक पत्र लिखा जिसमें उल्लेख किया गया कि पादरी सिस्टर के साथ रूमानी तरीके से लिप्त हैं। इसके लिए पादरी को तत्काल गिरजाघर से निलंबित कर दिया गया और वह तब तक निलंबित रहा, जब तक कि उसने मई में माफी नहीं मांगी।
पादरी द्वारा यौन शोषण को लेकर गिरजाघर के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक कार्लिन डेमाश्योर ने कहा कि मुझे इस बात को लेकर बहुत दुख है कि इसे सार्वजनिक होने में इतने वर्ष लग गए, क्योंकि इस बारे में काफी पहले से जानकारी है।
वेटिकन ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि क्या उसने वैश्विक स्तर पर समस्या की व्यापकता का आकलन करने या दोषियों को दंडित करने और पीड़ितों की देखभाल करने के लिए कोई कदम उठाए हैं? अधिकारी ने यह बात अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कही, क्योंकि वह इस मुद्दे पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं था। उसने कहा कि गिरजाघर ने अपना अधिक ध्यान बच्चों की सुरक्षा पर लगाया है लेकिन उन जोखिम वाले वयस्कों को भी सुरक्षा की जरूरत है। (भाषा)