कोलकाता के बाद बदलापुर। न जाने कितनी बच्चियों को वहशी दरिंदे नोच रहे हैं। बेटियों को नोचने वाले दरिदों को सजा के लिए जनता सड़क और रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन कर रही है। इस बीच सोशल मीडिया पर जर्मन की एक महिला का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक महिला कोर्ट रूम के अंदर गन निकाल कर गोली चलाती है।
वीडियो को शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि मैरीएन बाकमायर नामक महिला ने अपनी सात साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या करने वाले आरोपी को कोर्ट रूम में ही गोली मार दी थी। वीडियो को लोग तेजी से इसी दावे के साथ री-शेयर कर रहे हैं। पर इस वीडियो का सच कुछ और है।
सोशल मीडिया यूजर ने इस वीडियो को अपने अकाउंट पर शेयर कर लिखा- यह जर्मनी की बहादुर महिला Marianne Bachmeier हैं, जिन्होंने अपनी सात साल की मासूम बच्ची के बलात्कारी को कोर्ट में गोली मारी थी। इसके बाद इनको 6 साल की सजा सुनाई गई थी। पर यह वीडियो किसी कोर्ट का नहीं बल्कि एक फिल्मी सीन है। सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे जर्मन फिल्म 'Der Fall Bachmeie: Keine Zeit für Tränen' की क्लिप का बताकर शेयर किया है।
इंग्लिश में इस फिल्म नाम “No Time for Tears: The Bachmeier Case” है। जर्मन मैरीएन बाकमायर ने अपनी बच्ची के बलात्कारी को गोली मारी थी लेकिन वायरल वीडियो एक फिल्म का पार्ट है। दरअसल, यह फिल्म साल 1984 में रिलीज हुई थी।
'द सन' की खबर के मुताबिक वेस्ट जर्मनी में साल 1981 में हुई इस घटना के चलते जर्मनी में रहने वाली मैरिएन बाकमायर नामक ने एक आदमी की हत्या कोर्ट में गोली मारकर कर दी थी। आदमी पर मैरिएन की बेटी के साथ रेप और हत्या का आरोप लगा था।
मैरिएन बाकमायर ये जर्मनी के ल्यूबेक की रहने वाली थी। मैरिएन बाकमायर जर्मनी के लोअर सैक्सोनी में हिल्डेशाइम के छोटे से शहर सारस्टेड में पली बढ़ीं। मैरिएन के पिता बहुत शराब पीते थे और शराब पीने से वह आक्रामक हो जाते थे। मैरिएन के साथ भी हिंसक व्यवहार हुआ। पिता के आक्रामक रवैये के चलते उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। मां ने दूसरी शादी की और फिर मैरिएन को घर घर से बाहर निकाल दिया।
16 साल की उम्र में ही मैरिएन बाकमायर प्रेग्नेंट हो गई थी और दो बच्चों को जन्म दिया। बच्चों को रखने और पालन पोषण के लिए पैसा नहीं था तो बच्चों को किसी को दे दिया। इसके बाद 19 साल की उम्र में एक शख्स से उनकी मुलाकात हुई और दोनों ने शादी की। शादी के बाद एक बेटी हुई। इसका नाम ऐना रखा गया। इसके बाद पति से तलाक हो गया तो ऐना ही उसकी जिंदगी के लिए सबकुछ थी।
मैरिएन अकेली थी, वह काम पर भी जाती थी। ऐसे में बेटी ऐना को अक्सर घर में अकेला रहना पड़ता था। वह सात साल की थी, अक्सर पड़ोस के घर में खेलने जाती थी लेकिन एक दिन जब वह गई तो वह वापस ही नहीं आई। ये तारिख थी 7 मई 1980। जब मैरिएन लौटकर आई तो ऐना घर में नहीं मिली। तलाश के बाद भी कुछ पता नहीं चला। अंत में उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस भी तलाशती रही लेकिन कुछ पता नहीं चला।
पुलिस ने जानकारी मिलने पर एक व्यक्ति पर शक जताया, जो पहले यौन शोषण के मामले में जेल जा चुका था। पुलिस की पूछताछ में शुरुआत में तो वह घुमाने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने सबकुछ बता दिया। उसने बताया कि उसने बच्ची के दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर शव को नहर में फेंक दिया है।
ऐसे बचा गुनाहगार : मामला कोर्ट में गया। वह खुद को नपुंसक बताने लगा। कई बार कोर्ट में सुनवाई हुई और हर बार ऐना की मां मैरिएन वहां जाती थीं। मैरिएन को लगा कि आरोपी कोर्ट को गुमराह कर रहा है और बरी हो सकता है।
फिर खुद किया इंसाफ : 6 मार्च, 1981 की तारीख को मैरिएन इंसाफ के लिए खुद को तैयार कर कोर्ट रूम में पहुंच गईं। इसके बाद कोर्ट रूम थर्रा गया। मैरिएन एक दशमलव 22 कैलिबर की बेरेटा पिस्टल लेकर कोर्ट रूम में पहुंची और आरोपी क्लॉस ग्रैबोस्की पर फायरिंग कर दी।
फायरिंग में उसने कुल आठ गोलियां चलाई थी। आरोपी ग्रैबोस्की वहीं मर गया लेकिन कोर्ट रूम में हत्या करने के बाद मैरिएन पर केस दर्ज किया गया और उसे 6 साल की सजा सुनाई गई। हालांकि 3 साल बाद उसे रिहा कर दिया गया।