बेंजामिन नेतन्याहू का फिर पीएम बनने का सपना हो सकता है चकनाचूर, भारत की भी चुनाव पर नजर
इसराइल में बेंजामिन नेतन्याहू के लगातार 5वीं बार प्रधानमंत्री बनने के सपने को झटका लग सकता है। एग्जिट पोल्स के नतीजों पर यकीन करें तो देश के सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहे नेतन्याहू को संसद में बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। एग्जिट पोल्स के अनुसार इसराइल में अब नेतन्याहू का दौर खत्म होता दिखाई दे रहा है।
बता दें कि चुनाव प्रचार में नेतन्याहू ने पूरी ताकत लगा दी थी। नेतन्याहू ने अपनी विदेश नीति और दुनिया में इसराइल के कद को दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की तस्वीरों तक का अपने चुनाव प्रचार में प्रयोग किया था।
इसराइल के इन चुनावों पर मोदी सरकार की भी नजर है। सरकार को उम्मीद है कि नेतन्याहू के साथ भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की जो केमिस्ट्री बनी है, वह आगे भी जारी रहेगी। दोनों नेताओं की दोस्ती काफी मशहूर है।
भारत और इसराइल के संबंध हाल के दिनों में काफी मजबूत हुए हैं। नेतन्याहू के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी तस्वीरें खूब वायरल हुई थीं। इसराइल की एक इमारत पर बड़ा बैनर भी लगाया गया था, जो दोनों नेताओं के गर्मजोशीभरे संबंधों के साथ द्विपक्षीय संबंध को भी दिखा रहा था।
क्या कहता है एक्जिट पोल : आम चुनावों के बाद बुधवार को जारी वोटों की गिनती लगभग 92 प्रतिशत हो चुकी है। नेतान्याहू की पार्टी लिकुड को एक्जिट पोल में 31 से 33 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं और बैनी गांट्ज के नेतृत्व में ब्लू और व्हाइट गठबंधन को 32 से 34 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि पूर्व रक्षा मंत्री अविगडोर लिए बेर्मन को 8 से 10 सीटें मिल सकती हैं।
चुनावों के नतीजे यदि एक्जिट पोल के अनुरूप आते हैं, जैसे कि कयास लगाए जा रहे हैं तो ब्लू और व्हाइट गठबंधन बेर्मन के साथ मिल कर सरकार बना सकते हैं। देश में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को कम से कम 61 सीटें चाहिए और एक्जिट पोल में किसी भी दल के अपने दम पर सरकार बनाने के आसार बेहद कम हैं।
क्या बोले नेतन्याहू : नेतन्याहू ने मंगलवार को समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि हम अभी भी चुनाव के नतीजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं हम अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। इसराइल ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि देश को अरब की यहूदी विरोधी पार्टियों की जरूरत है नहीं है जो इसराइल में यहूदियों के अस्तित्व के होने से इंकार करती है तथा न ही लोकतंत्र में विशवास रखती है। देश को एक मजबूत सरकार की आवश्यकता है।
गिर गई थी नेतन्याहू सरकार : इस वर्ष अप्रैल में हुए चुनावों में श्री नेतन्याहू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गिर जाने के कारण से देश में फिर से चुनाव कराने की स्थिति बनी है। इजरायल के सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेतान्याहू के राजनीतिक भाग्य के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हुए हैं।