शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. barmuda triangle
Written By

बरमूडा त्रिकोण एक रहस्य!

बरमूडा त्रिकोण एक रहस्य! - barmuda triangle
बड़े-बड़े जहाजों को निगलने वाला समुद्री भुतहा त्रिकोण
अथाह समुद्र और ऊंचे आसमान में अजीबो-गरीब घटनाक्रम की बातें पहले भी सुनने में आई हैं, लेकिन अटलांटिक महासागर का एक हिस्सा ऐसा है, जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है। पूर्वी-पश्चिम अटलांटिक महासागर में बरमूडा त्रिकोण है। यह भुतहा त्रिकोण बरमूडा, मयामी, फ्लोरिडा और सेन जुआनस से मिलकर बनता है।
 
इस इलाके में आज तक अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं, तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। यह विषय कितना रोचक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं।
 
सदियों से चर्चा का विषय रहे इस त्रिकोण के क्षेत्रफल को लेकर भी तरह-तरह की बातें कही और लिखी गई हैं। इस मसले पर शोध कर चुके कुछ लेखकों ने इसकी परिधि फ्लोरिडा, बहमास, सम्पूर्ण कैरेबियन द्वीप तथा महासागर के उत्तरी हिस्से के रूप में बांधी है। कुछ ने इसे मैक्सिको की खाड़ी तक बढ़ाया है। शोध करने वालों में इसके क्षेत्रफल को लेकर सर्वाधिक चर्चा हुई है।
 
इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात भी बहुतायत में रहता है। क्षेत्र की गणना दुनिया की व्यस्ततम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है। यहां से अमेरिका, यूरोप और कैरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं। यही नहीं, फ्लोरिडा, केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए। ऐसे में कोई दुर्घटना होती है तो किसी को पता चल ही जाता है। 
 
विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहां हैं। पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है। जलसेना के अधिकारियों के हवाले से लिखा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए।      
 
मशहूर अन्वेषक क्रिस्टोफर कोलंबस पहले लेखक थे, जिन्होंने यहां के अजीबो-गरीब घटनाक्रम के बारे में लिखा था। बकौल क्रिस्टोफर- उन्होंने और उनके साथियों ने आसमान में बिजली का अनोखा करतब देखा। उन्हें आग की कुछ लपटें भी दिखाई दीं। इसके बाद समुद्री यात्रा पर निकले दूसरे लेखकों ने अपने लेखों में इस तरह के घटनाक्रम का उल्लेख किया। 
क्या है बमवर्षक 'फ्लाइट 19' के लापता होने का रहस्य... पढ़ें अगले पेज पर...
 

16 सितंबर 1950 को पहली बार इस बारे में अखबार में लेख भी छपा था। दो साल बाद फैट पत्रिका ने ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर’ शीर्षक से जार्ज एक्स. सेंड का एक संक्षिप्त लेख भी प्रकाशित किया था। इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पांच टीबीएम बमवर्षक विमानों ‘फ्लाइट 19’ के लापता होने का जिक्र किया गया था। 
 
फ्लाइट 19 के गायब होने का घटनाक्रम काफी गंभीरता से लिया गया था। इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहाँ हैं। पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है। जलसेना के अधिकारियों के हवाले से लिखा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए। यह पहला लेख था, जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परालौकिक शक्ति का हाथ बताया गया था। इसी बात को विंसेंट गाडिस, जान वालेस स्पेंसर, चार्ल्स बर्लिट्ज़, रिचर्ड विनर, और अन्य ने अपने लेखों के माध्यम से आगे बढ़ाया।
 
इस मामले में एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय के शोध लाइब्रेरियन और ‘द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्री :  साल्व्ड’ के लेखक लारेंस डेविड कुशे ने काफी शोध किया तथा उनका नतीजा बाकी लेखकों के अलग था। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से विमानों के गायब होने की बात को गलत करार दिया। कुशे ने लिखा कि विमान प्राकृतिक आपदाओं के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए। इस बात को बाकी लेखकों ने नजरअंदाज कर दिया था। 
 
ऑस्ट्रेलिया में किए गए शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मीथेन हाईड्राइड की बहुलता है। इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं। इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग (यूएसजीएस) ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था। यह बात और है कि यूएसजीएस की वेबसाइट पर यह रहस्योद्‍घाटन किया गया है कि बीते 15000 सालों में समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहां काम करना बंद कर देते हैं। इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। 
 
बहरहाल, तमाम शोध और जांच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया...उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया...दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता...ये प्रश्न अनुत्तरित हैं।
ये भी पढ़ें
भविष्यवाणी! दो पहाड़ मिल जाएंगे, और....