वह कई पीढि़यों तक हूणों से लड़ता रहा है और उन्हें अंत में मार भगाया है। जो बचे रहे, उन्हें फिर अपने में जज्ब कर लिया। जब अरब आए तो वे सिंधु नदी के पास रह गए। तुर्क लोग और अफगानी बहुत रफ्ता-रफ्ता आगे फैले। दिल्ली के तख्त पर अपने को मजबूती से कायम रखने करने में उन्हें सदियाँ लग गईं। यह एक अटूट और लंबा संघर्ष रहा है। जहाँ एक तरफ यह संघर्ष चलता रहता था, दूसरी तरफ जज्ब करने और उन्हें हिंदुस्तानी बनाने की क्रिया भी जारी रहती थी, जिसका नतीजा यह होता था कि हमलावर वैसे ही हिंदुस्तानी बन जाते थे, जैसे कि और लोग थे।
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