होली पर कविता : रंगोत्सव
होली खेलन आए श्रीराम
सिया मुस्काने लगी
मुस्काने लगी, गुनगुनाने लगी
सखियों से कुछ-कुछ बताने लगी।
होली खेलन आए श्रीराम
सिया मुस्काने लगी
अवध में आई अजब खुमारी
भीगे रघुबर, सब नर-नारी
रंग सिया पे ऐसा लगा है
राम-लखन क्या, कोउ न बचा है
झूमे सारे अवध की नारी
सिया गीत गाने लगी
होली खेलन आए श्रीराम
सिया मुस्काने लगी
राम रंग में रंगी अयोध्या
रंग गए लक्ष्मण और सब योद्धा
देख चेहरों पे लगा गुलाल
सिया फाग गीत गाने लगी
होली खेलन आए श्रीराम
सिया मुस्काने लगी।