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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 8 दिसंबर 2025 (16:26 IST)

माघ मेला 2026: संगम तट पर बस भव्य तंबुओं का शहर, जानिए स्नान, कल्पवास का महत्व

माघ मेला 2026
Magh Mela 2026: प्रयागराज में संगम की रेती पर माघ मेला 2026 का भव्य आयोजन 3 जनवरी से शुरू होकर 15 फरवरी तक चलेगा, जो 44 दिनों का महापर्व होगा। यह अस्थायी तंबुओं का शहर करीब 800 हेक्टेयर भूमि पर 7 सेक्टरों में बसाया जा रहा है।
 
मेले की प्रमुख बातें:-
अवधि: 3 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 15 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक।
श्रद्धालु अनुमान: प्रशासन को प्रमुख स्नान पर्वों पर 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र डुबकी लगाने की उम्मीद है।
कल्पवास: पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा (1 फरवरी) तक लगभग 20 से 25 लाख कल्पवासी एक माह की कठोर साधना करेंगे।
स्नान पर्व: पौष पूर्णिमा (3 जनवरी), मकर संक्रांति (15 जनवरी), मौनी अमावस्या (18 जनवरी), बसंत पंचमी (30 जनवरी), माघी पूर्णिमा (1 फरवरी) और महाशिवरात्रि (15 फरवरी) मुख्य स्नान होंगे।
 
विशेष व्यवस्थाएं:-
पानी और स्वच्छता:- सिंचाई विभाग द्वारा 10 हजार क्यूसेक पानी की उपलब्धता और नमामि गंगे के तहत जल शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी। गंगा-यमुना में सीवर का एक बूंद भी न जाए, इसके लिए यूपी जल निगम 242 किमी पेयजल और 85 किमी सीवर लाइन बिछा रहा है।
सुरक्षा:- बहुस्तरीय और हाईटेक सुरक्षा योजना लागू की गई है, जिसमें ड्रोन कैमरे, इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम, पुलिस, पीएसी और एनडीआरएफ की टीमें तैनात होंगी।
पर्यटक सुविधा:- भारत और विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए प्रशिक्षित गाइडों की विशेष टीम तैनात की जाएगी।
बुनियादी सुविधाएं:- कल्पवासियों के लिए बिजली, पेयजल, शौचालय, अस्थाई अस्पताल और खोया-पाया केंद्र जैसी विशेष व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। यह माघ मेला भारतीय आस्था, आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम प्रस्तुत करने को तैयार है।
 
माघ मेला 2026 के प्रमुख स्नान पर्वों की तारीखें इस प्रकार हैं:-
1. पौष पूर्णिमा: 3 जनवरी 2026 (मेले का आरंभ)
2. मकर संक्रांति: 15 जनवरी 2026
3. मौनी अमावस्या: 18 जनवरी 2026
4. बसंत पंचमी: 30 जनवरी 2026
5. माघी पूर्णिमा: 1 फरवरी 2026
6. महाशिवरात्रि: 15 फरवरी 2026 (मेले का अंतिम स्नान)
 
माघ मास (Magh Maas) हिंदू धर्म में पवित्र स्नान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्नान का महात्म्य: इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने से मनुष्य पापमुक्त होता है और भगवान श्रीहरि (वासुदेव) को प्रसन्नता मिलती है।
 
प्रयाग का विशेष महत्व: प्रयागराज में संगम या किसी भी पवित्र नदी (जैसे गंगा, गोदावरी, नर्मदा) में स्नान करने का बहुत महत्व है। पद्मपुराण के अनुसार, प्रयाग में माघ मास में तीन बार स्नान करने का फल दस हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है। मान्यता है कि इस समय देवता भी मनुष्य रूप में धरती पर आकर प्रयाग में स्नान और दान करते हैं।
 
लाभ: माघ स्नान से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु नहीं होती।
 
माघ पूर्णिमा (16 फरवरी): इस तिथि पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा होती है। इस दिन शनि, गुरु, सूर्य और शुक्र का संयोग होने के कारण स्नान और दान का महत्व बढ़ जाता है। विधिवत स्नान और मां गंगा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा ग्रहों का शुभ प्रभाव मिलता है।
 
अन्य अनुष्ठान: माघ माह में कल्पवास किया जाता है, जिसमें नदी के तट पर सत्संग, स्वाध्याय (धर्मग्रंथों का अध्ययन) और धर्माचरण पर ज़ोर दिया जाता है। इस मास में तिलों का दान करने का विशेष महत्व है।
 
मेले: इस अवधि में प्रयाग के संगम और पश्चिम बंगाल के गंगा सागर सहित देश के कई हिस्सों में (जैसे छत्तीसगढ़ में राजिम) माघ मेले का आयोजन होता है।