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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 16 मई 2024 (16:14 IST)

Mandir Ghanti : मंदिर जा रहे हैं तो जानिए कि घंटी को कितनी बार बजाना चाहिए

Mandir Ghanti : मंदिर जा रहे हैं तो जानिए कि घंटी को कितनी बार बजाना चाहिए - Mandir Ghanti ke niyam
सृष्टि की रचना में ध्वनि का महत्वपूर्ण योगदान है। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद था, घंटी की ध्वनि को उसी नाद का प्रतीक माना जाता है। घंटी के रूप में सृष्टि में निरंतर विद्यमान नाद ओंकार या ॐ की तरह है जो हमें यह मूल तत्व की याद दिलाता है। घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी। चारों ओर घंटियों की आवाज सुनाई देगी। इसीलिए मंदिर में घंटी लगाए जाने की परंपरा है। हालांकि इसके और भी कई कारण है। मंदिर जा रहे हैं तो जानिए कि घंटी को कितनी बार बजाना चाहिए।
घंटी बजाने के फायदे : स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। लगातार घंटी बजाए जाने से नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं।
 
घंटी को कितनी बार बजाना चाहिए : मंदिर में प्रवेश के वक्त 3 या 5 बार धीरे धीरे घंटी बजाते हैं। घंटी कभी भी तेजी से, जोर से या बार बार नहीं बजाते हैं। दूसरा यह कि मंदिर से बाहर निकलते वक्त कभी भी घंटी नहीं बजाते हैं।
गरूड़ घंटी : गरूढ़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है। इसे गरूड़ इसलिए कहते हैं क्योंकि इसके शीर्ष पर भगवान गरुड़ की आकृति बनी होती है। भगवान गरुड़ के नाम पर है गुरुड़ घंटी जिस का मुख गरुड़ के समान ही होता है। भगवान गरुड़ को विष्णु का वाहन और द्वारपाल माना जाता है। अधिकतर मंदिरों में मंदिर के बाहर आपको द्वार पर गरुड़ भगवान की मूर्ति मिलेगी। इस घंटी को बजाने के भी नियम है। प्रात: और संध्या को ही घंटी बजाने का नियम है। वह भी लयपूर्ण। जिन स्थानों पर गरूढ़ घंटी बजती है वहां नकारात्मकता नहीं रहती है।
 
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