• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Chitragupta Puja Importance in hindi
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 2 मई 2025 (14:57 IST)

चित्रगुप्त प्रकटोत्सव 2025: क्या है श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा में कलम, दवात और कागज का महत्व

Chitragupta Puja Importance in hindi
Chitragupta Puja Importance in hindi: भारतीय संस्कृति में हर त्योहार न केवल आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि वह हमें हमारी जड़ों से भी जोड़ता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक पर्व है चित्रगुप्त प्रकटोत्सव। यह पर्व विशेष रूप से कायस्थ समाज द्वारा श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है, जो सृष्टि के लेखा-जोखा रखने वाले देवता भगवान चित्रगुप्त को समर्पित होता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो भाई दूज के दिन पड़ता है। वर्ष 2025 में यह उत्सव 3 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।
 
यह केवल पूजा का दिन नहीं होता, बल्कि आत्मचिंतन, कर्मों की समीक्षा और जीवन में सच्चाई व ईमानदारी की राह अपनाने का अवसर भी होता है। इस दिन का सबसे अनूठा और गूढ़ पक्ष यह है कि चित्रगुप्त भगवान की पूजा में कलम, दवात और कागज का विशेष महत्व होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस पर्व की पौराणिकता, सांस्कृतिक परंपराएं और पूजन विधि क्या कहती हैं।
 
भगवान चित्रगुप्त कौन हैं?
हिंदू धर्म के अनुसार, चित्रगुप्त जी उन सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, जो इस पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। माना जाता है कि मृत्यु के बाद जीव की आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक भेजा जाता है और इसका निर्णय चित्रगुप्त जी द्वारा तैयार किए गए लेखे के अनुसार होता है।
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपने मन से चित्रगुप्त जी की रचना की थी। इसलिए इन्हें "कायस्थ" यानी "काया से उत्पन्न" कहा गया। इनकी उपासना के पीछे भाव है, अपने कर्मों की समीक्षा करना, सत्य के मार्ग पर चलना और जीवन को ईमानदारी से जीना।
 
क्यों होती है कलम-दवात और कागज की पूजा?
चित्रगुप्त भगवान को लेखाकार माना गया है, जिनके पास कर्मों की एक बड़ी पोथी होती है। यह पोथी जीवन की नैतिकता और सत्य का प्रतीक होती है। इसलिए, कलम, दवात और कागज इनकी पूजा में अनिवार्य होते हैं।
 
1. कलम (Pen): कलम प्रतीक है ज्ञान, विवेक और कर्म के नियंत्रण का। यह हमें सिखाती है कि हम अपनी बातों, फैसलों और कर्मों को सोच-समझकर लिखें और जिएं।
 
2. दवात (Ink Pot): दवात को जीवन का 'मूल तत्व' माना जाता है, जो हमारे कर्मों को अमिट रूप देता है। इसमें भरी स्याही से ही चित्रगुप्त जी हमारे कर्मों को दर्ज करते हैं।
 
3. कागज (Paper): कर्मों की पोथी का आधार, कागज, जो जीवन की सफेद चादर की तरह है। जो जैसा लिखता है, वैसा ही परिणाम भोगता है। इस दिन भक्त स्वच्छ कागज पर "श्री चित्रगुप्ताय नमः" लिखते हैं और यह संकल्प करते हैं कि वे आने वाले वर्ष में सच्चाई, कर्तव्य और न्याय के मार्ग पर चलेंगे।
 
चित्रगुप्त पूजा विधि, कैसे करें पूजन-
  • घर को स्वच्छ करके पूजन स्थल तैयार करें।
  • चित्रगुप्त भगवान की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।
  • उनके समक्ष कलम, दवात और कागज रखें।
  • हल्दी, चावल, फूल, रोली, दीप और मिठाई से पूजा करें।
  • एक सफेद कागज पर “ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः” लिखें और पूजा में अर्पित करें।
  • संकल्प लें कि आप सदाचरण करेंगे और जीवन में सच्चाई का साथ नहीं छोड़ेंगे।
कायस्थ समाज और यह परंपरा: कायस्थ समाज के लिए यह पर्व विशेष रूप से श्रद्धा का प्रतीक है। भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली और बंगाल में बड़ी संख्या में कायस्थ समुदाय के लोग रहते हैं जो चित्रगुप्त पूजा को पारिवारिक आयोजन की तरह मनाते हैं। इस अवसर पर घर के बच्चों को लेखनी और शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं भेंट करना शुभ माना जाता है। इस दिन नए रजिस्टर, पेन और किताबें खरीदी जाती हैं, जो शुभ शुरुआत का प्रतीक मानी जाती हैं।
 
आध्यात्मिक संदेश और आधुनिक संदर्भ: जहां एक ओर यह पर्व हमें धार्मिक आस्था से जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर यह आत्मावलोकन और जीवन में सुधार लाने की प्रेरणा भी देता है। AI और डिजिटल युग में भी कर्मों का मूल्य वही है, और यह पर्व हमें याद दिलाता है कि चाहे तकनीक कितनी भी बढ़ जाए, मनुष्य के कर्म ही उसका असली परिचय हैं। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

ये भी पढ़ें
चित्रगुप्त जी की पूजा कैसे करें? जानिए क्या करें और क्या नहीं