रविवार, 22 दिसंबर 2024
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मुझको हंसना आता नहीं है...

मुझको हंसना आता नहीं है... - Hindi poem on laughter
मुझको हंसना आता नहीं है
दु:ख में बीता सारा बचपन
जीवन मुझको भाता नहीं है। मुझको हंसना...
 
छिछलेपन पर हंसने में तुम माहिर
भरमाकर काम निकालने में जगजाहिर
अपना लूं तुम-सा व्यवहार भाता नहीं है। मुझको हंसना...
 
जब भी जीवन में सुख की बूंदें आईं
तुमने गहरे तक उनको सोख लिया
सुख की राहें बंद हों, मिथक नया ईजाद किया
पक्के धुनी हो अलमस्तज, ये राग गाना आता नहीं है। मुझको हंसना...
 
दु:ख सहने का आदी हूं
मैं कमजोर नहीं पड़ता हूं
'पीव' खुशी से दु:ख को गले लगाकर
मैं हरदम अपने पथ पर आगे बढ़ता हूं
स्‍वप्न संभालो सुनहले अपने, मुझको जीना आता है। 
मुझको हंसना आता नहीं है...।