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Written By Author डॉ. रामकृष्ण सिंगी
Last Modified: सोमवार, 25 दिसंबर 2017 (09:46 IST)

सीमान्त जीत के भी सोलह कारक

सीमान्त जीत के भी सोलह कारक - poetry
अनन्तः जीत हुई उनके प्रयत्नों में विश्वसनीयता के आभास की। 
उनकी निष्ठा और समर्पण में जन-जन के अटल विश्वास की ।।2।।
 
जनता द्वारा अपने भविष्य को समर्थ हाथों में सौंपने की चाह की। 
नोटबंदी व जीएसटी से कदमों की असुविधाओं से बेपरवाह की।।4।। 
 
गाली-गलौज भरी बयानबाजी से उभरे क्षोभ अपार की।
मोदीजी के तर्कों के प्रति गुजरात की व्यापक सहमति के आधार की।।6।।
 
तर्कहीन (आरक्षण) माँगों के प्रति जन-मत में उपजे रोष की ।
अब तक की प्रगति / उपलब्धियों के प्रति एक व्यापक संतोष की।।8।।
 
संकल्पों और प्रयत्नों में देखी गई पर्याप्त अभिन्नता की।
वंशवादी चिंतन के प्रति बेलाग खिन्नता की ।।10।।
 
सत्तालोलुप राजनीति के प्रति आक्रोश और बग़ावत की।
खुशामदी, बेशर्म चापलूसों के प्रति अन्तर्मन से हिकारत की।।12।। 
 
दिखावटी मंदिर-दर्शनी आस्थाओं के प्रति स्पष्ट नकार की।
बाजारू भाषा, गँवारू तर्कों के प्रति रुष्ट धिक्कार की ।।14।।
 
ढकोसले बाजों से जन-मन के असीम उचाट की।
दक्ष संगठन कर्त्ता शाह के प्रबन्धन-कौशल सूक्ष्म / विराट की।।16।।
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