हिन्दी कविता : नारी तुम मुक्त हो।
नारी तुम मुक्त हो,
बिखरा हुआ अस्तित्व हो।
सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो,
सर्वथा अव्यक्त हो।
नारी तुम मुक्त हो,
शब्दकोषों से छलित।
देवी होकर भी दलित,
शेष से संयुक्त हो।
नारी तुम मुक्त हो,
ईश्वर का संकल्प हो।
प्रेम का तुम विकल्प हो,
त्याग से संतृप्त हो।
नारी तुम मुक्त हो।