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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 18 मार्च 2025 (15:16 IST)

नागपुर पर एक कविता

nagpur violence
- नवीन रांगियाल
 
सेमिनरी हिल्‍स 
धरमपेठ के अपने सौदें हैं
भीड़ के सर पर खड़ी रहती है सीताबर्डी
 
कहीं अदृश्य है
रामदास की पेठ
 
बगैर आवाज के रेंगता है
शहीद गोवारी पुल
 
अपनी ही चालबाज़ियों में
ज़ब्त हैं इसकी सड़कें
 
धूप अपनी जगह छोड़कर
अंधेरों में घिर जाती हैं
 
घरों से चिपकी हैं उदास खिड़कियां
यहां छतों पर कोई नहीं आता
 
ख़ाली आंखों से
ख़ुद को घूरता है शहर
 
उमस से चिपचिपाए
चोरी के चुंबन
अंबाझरी के हिस्से हैं
 
यहां कोई मरता नहीं
डूबकर इश्क़ में
 
दीवारों से सटकर खड़े साए
खरोंच कर सिमेट्री पर नाम लिख देते हैं
जैस्मिन विल बी योर्स
ऑलवेज़
एंड फ़ॉरएवर...
 
दफ़न मुर्दे मुस्कुरा देते हैं
मन ही मन
 
खिल रहा वो दृश्य था
जो मिट रहा वो शरीर
 
अंधेरा घुल जाता है बाग़ में
और हवा दुपट्टों के खिलाफ बहती है
 
एक गंध सी फ़ैल जाती हैं
लड़कियों के जिस्म से सस्ते डियोज़ की
इस शहर का सारा प्रेम
सरक जाता है सेमिनरी हिल्स की तरफ़।