रविवार, 1 दिसंबर 2024
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पाखी - भर ले अपनी उड़ान

पाखी - भर ले अपनी उड़ान - poem
देर न कर जाग तू, भर ले अब उड़ान तू
आग है जो अंदर तेरे, उसको अब जला तू
 
खुद को पहचान तू, 
शक्ति है, तू देवी है, शेरनी है तू, 
अपने अंदर की ताकत से, खुद को जीत ले तू
देर न कर जाग तू, भर ले अब उड़ान तू
 
जननी है, माता है तू, 
सहनशक्तिशाली है तू, 
हर दर्द से लड़कर, खुद को नया जीवन तो दे तू, 
देर न कर जाग तू, भर ले अब उड़ान तू
 
राह दिखाए, सबको चलना सिखाए 
कदम-कदम साथ निभाए तू, 
अब हर बेड़ी को तोड़ कर, एक कदम तो बढ़ा तू
देर न कर जाग तू, भर ले अब उड़ान तू
देर न कर जाग तू, भर ले अब उड़ान तू
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