हिन्दी कविता : चांद की आंखों में
चांद की आंखों में भरा हुआ है
चांद का सारा पानी
पृथ्वी का एक अकेला चांद
देखता है
पूरी पृथ्वी का पानी सूख गया है
और इकठ्ठा हो गया है
यहां के लोगों की आंखों में
पूरे ब्रह्मांड का महासागर भी
कम पड़ गया है
पृथ्वी की नदियों
और समंदरों
को भरने के लिए...
अब पृथ्वी के लोगों का दिल
सूख गया है, बंजर हो गया है...