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गांंधी जयंती विशेष : भारतभूमि के लाल

गांंधी जयंती विशेष : भारतभूमि के लाल - Poem
डॉ.मधु त्रिवेदी
जाया भारतभूमि ने दो लालों को
वो गांधी और लाल बहादुर कहलाए
बन अलौकिक अनुपम विभूति
भारत और विश्व की शान कहलाए
 
दो अक्टूबर का यह शुभ दिन आया
विश्व इतिहास में पावन दिवस कहलाया
राष्टपिता बन गांधी ने खूब नाम कमाया
लाल ने विश्व में भारत को जनवाया
सत्य अहिंसा के गांधी थे पुजारी
जनमन के थे गांधी शांति दाता
दीन हीनों के थे गांधी भाग्य विधाता
बिना तीर के थे गांधी अस्त्रशस्त्र
 
चल के गांधी ने सांची राह पर
देश के निज गौरव का मान बढ़ाया
दो हजार सात वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय
अहिंसा दिवस के रूप में मनवाया
 
शांति चुप रहना ही उनका हथियार था
भटकी जनता को राह दिखाना संस्कार था
बन बच्चों के बापू उनके प्यारे थे
तो मेरे जैसों की आंखों के तारे थे
 
लालबहादुर गांधी डग से डग
मिलाकर चला करते थे
एक नहीं हजारों को साथ ले चलते थे
राह दिखाते हुए फिरंगियों को दूर करते
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