• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Poem
Written By WD

हिन्दी कविता : बेटी

हिन्दी कविता : बेटी - Poem
संजय वर्मा "दृष्टि"
 
निखर जाती हैं
बेटी के हाथों की सुंदरता 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
 
मेहंदी, रोसा और बेटी 
लगती जैसे बहने हों आपस में 
महकती, निखरती जाए 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
 
मेहंदी भी जाती है बेटी के 
संग ससुराल में 
बाबुल की यादों के बेटी आंसू कैसे पोंछे 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी ।
 
जब न होगी बेटियां
तो किसे लगाएंगे मेहंदी
होगी बेटियां तब ज्यादा ही रचेगी 
जब लगी हो हाथों में मेहंदी । 
ये भी पढ़ें
सिंहस्थ केन्द्रित उपन्यास ‘नतोऽहं’ के कुछ अंश