गुरुवार, 10 अप्रैल 2025
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सबने मना ली दिवाली

Happy Dipavali Poems
सबने मना ली दिवाली,
तो सबको ही बधाई। 
पर एक बात बताओ यारों, 
किसने कैसी दिवाली मनाई?
 
क्या त्योहार में हर कोई, 
अपने लिए ही जिया?
या किसी गरीब के घर भी,
जाकर लगाया दीया?
 
क्या किसी की मायूसी को,
दूर जरा कर पाए?
या केवल अपने लिए ही, 
खील-बताशे लाए?
 
क्या सभी ने अपने लिए ही, 
सिलवाए नए-नए कपड़े?
या किसी बस्ती के भी, 
हरण किए कुछ लफड़े?
 
अनाथाश्रमों, वृद्धाश्रमों आदि की, 
क्या याद किसी को आई?
या केवल अपने ही घरों में, 
सबने मिठाई खाई?
 
क्या अपने आंगन में ही,
सबने पटाखे फोड़े?
या मुरझाए पड़ोसी के भी 
आंसू पोंछने दौड़े?
 
अपने लिए तो मना लेते हैं सब,
रंग-बिरंगे हर त्योहार।
जो औरों की भी सुध लें 'भानु',
तो जग में आएगा निखार!