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Written By WD

गजल : पूछिए तो आईने से

आईना
- ठाकुर दास 'सिद्ध'
 
दिन दहाड़े लूट, रातों का न आलम पूछिए।
पूछिए तो आईने से, कौन हैं हम पूछिए।।
 
वास अपने पास ही, शैतान का है दोस्तों।
खौफ खाती इन हवाओं से न मौसम पूछिए।।
 
सिर्फ इतना पूछिए वो आम है या खास है।
पूछिए उस शख्स से तो कौन सा गम पूछिए।।
 
सरहदों को वेदना उसकी लगी है लांघने।
किस लिए वो हंस रहा है आज बेदम पूछिए।।

नापिएगा रास्ता, गर वाहवाही चाहिए।
जब कहेगा,सच कहेगा, 'सिद्ध' से कम पूछिए।।